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गांधीवादी चिंतक साहित्यकार केयूर भूषण का निधन

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May 4, 2018

छत्तीसगढ़ी साहित्यकार केयूर भूषण का गुरुवार को निधन हो गया केयूर भूषण 90 वर्ष के थे केयूर भूषण साहित्यकार होने के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजनेता और पत्रकार भी थे पृथक छत्तीसगढ़ आंदोंलन में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है केयूर भूषण पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज एक निजी अस्पताल में चल रहा था मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि न केवल छत्तीसगढ़ ने बल्कि पूरे देश ने एक महान चिंतक को हमेशा के लिए खो दिया है वे राज्य के सच्चे हितैशी थे।

केयूर भूषण को गांधीवादी चिंतक के रूप में भी पहचाना जाता था केयूर भूषण 1980 से 1989 तक दो बार रायपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे केयूर भूषण छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रीय रहे हालांकि समाजसेवा में व्यस्त रहने के कारण वो अपनी पढाई मिडिल स्कूल के बाद जारी नहीं रख सके केयूर भूषण हरिजन सेवक संघ के पदाधिकारी के रूप में भी अपनी सेवा दे चुके हैं।

साहित्य में केयूर भूषण के योगदान को देखते हुए उन्हें छत्तीसगढ़ी के प्रसिद्ध पं.रविशंकर शुक्ल सदभावना पुरस्कार से 2001 में सम्मानित किया गया उन्होंने मरजाद कहां बिलागे मोर धान के कटोरा, लोक-लाज, समें के बलिहारी जैसे चर्चित उपन्यास भी लिखे हैं।