Jul 3, 2024
हाथरस कांड में 130 से ज्यादा लोगों के मारे जाने का अनुमान है
घटनास्थल पर एंबुलेंस और प्राथमिक उपचार की भी कमी थी
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ थाना क्षेत्र के फुलरई गांव में एक बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में 130 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. हालांकि, मौतों के आंकड़ों को लेकर विसंगति है. एटा एसएसपी के मुताबिक, धार्मिक आयोजन में भगदड़ मचने से 70 लोगों की मौत की खबर है. मृतकों में महिलाओं और बच्चों की संख्या अधिक है. अस्पतालों में गंभीर देखभाल प्राप्त करने वाले लोगों की संख्या बढ़ने से मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है. फुलरई गांव में भोलेबाबा प्रवचन कार्यक्रम के दौरान दर्दनाक हादसा हो गया.
भोलेबाबा के सत्संग में हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं
नारायण साकार हरि या साकार विश्व हरि उर्फ भोलेबाबा उत्तर प्रदेश के एटा जिले के रहने वाले हैं. पटियाली तालुक के गांव बहादुर में जन्मे बाबा खुदने इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व कर्मचारी होने का दावा करते रहते हैं. उन्होंने 26 साल पहले अपनी नौकरी छोड़ दी और धार्मिक व्याख्यान देना शुरू कर दिया. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली समेत देशभर में भोलेबाबा के लाखों अनुयायी हैं.
हालाँकि, आज के डिजिटल युग में वे सोशल मीडिया से दूर रहते हैं. वह अपने अनुयायियों से सीधे मिलते हैं और व्याख्यान देते हैं. पश्चिमी यूपी के अलीगढ़ और हाथरस जिलों में, नारायण साकार हरि कार्यक्रम हर मंगलवार को आयोजित किया जाता है, जिसमें हजारों की भीड़ उमड़ती है. भोलेबाबा के सत्संग में उनके अनुयायी और स्वयंसेवक भक्तों के लिए भोजन की व्यवस्था भी करते हैं.
काफी देर तक शव पंडाल में पड़े रहे
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, सत्संग पंडाल में काफी देर तक शव पड़े रहे. शवों को टेम्पो और अन्य वाहनों से शवगृह पहुंचाया गया. घटनास्थल पर एंबुलेंस और प्राथमिक उपचार की भी कमी थी. चर्चा यह भी है कि मरने वालों की संख्या 200 से ज्यादा है. पुलिस प्रशासन ने एक रास्ते पर बैरिकेडिंग कर दी थी, जिसे रात में बंद कर दिया गया था.
जैसे ही बंद बैरिकेडिंग खोली गई, गाड़ियों का तांता लग गया और भगदड़ में लोग मर गए. कुछ लोगों ने यह भी कहा कि सुरक्षा गार्डों ने भीड़ बनाकर नमाजियों को रोका था. कुछ की दम घुटने से मौत हो गई. सत्संग सभा में जितने श्रद्धालु पहुंचने चाहिए थे, उससे अधिक श्रद्धालु एकत्र हो गए. ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो गयी. आयोजकों ने सत्संग सभा के आयोजन की मंजूरी तो ले ली, लेकिन आने वाले लोगों को संभालने के लिए कोई योजना नहीं बनाई.