Oct 10, 2023
जब भी बात देवभूमि उत्तराखंड की आती है तो वहाँ के व्यंजनों को भी खूब पसंद किया जाता है फिर चाहे बात झंगुरे की खीर की हो या मंडुवे की रोटी और तिल की चटनी की या हो बात भांग की चटनी की.. आपको बता दें कि उत्तराखंड का पारंपरिक खानपान गुणवत्ता और स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद लाभकारी होता है। साथ ही आयुर्वेदिक चिकित्सक बताते हैं कि पहाड़ी अनाज सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। और मंडुवा मधुमेह की बीमारी में बेहद कारगर है। और यह शरीर में चीनी की मात्रा नियंत्रित कर रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। आइए जानते हैं यहाँ के खाने के बारे में।
अरसा
अरसा को शादी-ब्याह के मौके पर खास तौर से बनाया जाता है। इसके लिए चावल को पीसकर आटे की शक्ल दी जाती है। फिर गुड़ को पिघलाकर इसमें मिलाया जाता है और बिस्किटफिर के आकार में तेल या घी में फ्राई किया जाता है। यह गढ़वाल का एक पारंपरिक मीठा पकवान है।
मंडवे की रोटी
मंडवे की रोटी गढ़वाल में सबसे अधिक खाया जाने वाला प्रमुखता पकवान है.... गढ़वाल के लोग अक्सर चूल्हे की मोटी-मोटी रोटी बनाते है और तिल या भांग की चटनी के साथ बड़े चाव से इसे खाते है।
भांग की चटनी
आप अगर गढ़वाल में हैं और चाहे किसी भी तरह का भोजन कर रहे हैं तो भांग की चटनी इसे और स्वादिष्ट बनाती है। इसका खट्टा-नमकीन-तीखा फ्लेवर सभी तरह के परांठे और मंडवे की रोटी के साथ खाया जा सकता है।
झंगुरे की खीर
झंगुरे की खीर चावल की खीर जैसी ही होती है। लेकिन अंतर सिर्फ इतना होता है कि झंगुर महीन और बारीक दाने के रुप में होता है और आसानी से खाया जा सकता है। पहाड़ो में झंगुरे को चावल के जैसा पकाकर दाल-सब्जी के साथ भी खाया जाता है।
फाणु का साग
फाणु के साग में गहत की दाल को पीसकर गाढ़ा पकाया जाता है। साथ ही इसके पानी का खास ख्याल रखा जाता है। यह जितनी गाढ़ी बने उतनी स्वादिष्ट होती है। जब पीसी हुई गहत अच्छे से गाढ़ी हो जाए तब उसमें बारीक टमाटर, लहसुन, अदरक, प्याज आदि डालकर इसे अच्छी तरह पकाया जाता है।