Loading...
अभी-अभी:

अब बोन मैरो ट्रांसप्लांट में भी मदद करेगा AI , प्रदेश से New York तक का सफर तय करने वाले Dr. Satwani ने बताया कैसे ?

image

Jul 26, 2024

 मेडिकल साइंस की लगातार बदलती और आगे बढ़ती दुनिया में, AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) जल्द ही बोन मैरो ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में प्रगति को गति देगा. सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में बीएमटी यूनिट के संरक्षक डॉ. प्रकाश सतवानी का दावा है कि यह सिर्फ समय की बात है और अगले पांच सालों में AI बीएमटी सर्जनों की मदद करेगा.  कोलंबिया यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में पीडियाट्रिक्स के प्रोफेसर डॉ. सतवानी ने कहा, एआई निकट भविष्य है. अमेरिका में हमारे द्वारा किए जाने वाले हर ट्रांसप्लांट का डेटा विस्कॉन्सिन में सीआईबीएमटीआर- सेंटर फॉर इंटरनेशनल बोन मैरो ट्रांसप्लांट रिसर्च में इकट्टा किया जाता है.

एक बार जब AI इसमें शामिल हो जाएगा, तो डेटा का विश्लेषण करना आसान हो जाएगा और बाद में पता लगाया जा सकेगा कि मरीज ठीक रहेगा या नहीं.  इसके अलावा, डॉ. सतवानी ने बताया कि एआई के इस्तेमाल से सर्जनों को प्रक्रिया के लिए पहले से तैयारी करने में मदद मिलेगी.  डॉ. सतवानी ने कहा, "AI सर्जन को यह भी बता सकता है कि उन्हें कौन सी प्रक्रिया चुननी चाहिए और वे इसके लिए कैसे तैयारी कर सकते हैं.  जोखिम का विश्लेषण करके उन्हें बड़ी जटिलताओं के बारे में जागरूक किया जा सकता है और प्रत्यारोपण को आगे कैसे बढ़ाया जाए यह भी सीखा जा सकता है ." इंदौर शहर में 100 बोन मैरो ट्रांसप्लांट पूरे करने की उपलब्धि का जश्न मनाते हुए, डॉ. सतवानी ने भोपाल और जबलपुर में बीएमटी केंद्र विकसित करने के अपने लक्ष्य के बारे में भी बात. उन्होंने कहा, "इन दो केंद्रों को विकसित करने का हमारा लक्ष्य पूरा होने के बाद हमारा लक्ष्य सागर, रीवा और ग्वालियर को शामिल करना है." "हालांकि, एक बड़ी चुनौती यह है कि राज्य में हर साल लगभग 20,000 बच्चों में कैंसर का पता चलता है और उनमें से अधिकांश का सही तरीके से इलाज नहीं हो पाता है और उनमें से कई को उचित उपचार नहीं मिल पाता है. हमें वास्तव में अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए काम करने की जरूरत है क्योंकि हम अपने आसपास स्वस्थ बच्चों को रखकर अपने भविष्य को सुरक्षित रखते हैं".

जीवाणु संक्रमण और सूक्ष्मजीव प्रतिरोध के कारण घातक परिणाम

 शहर में बीएमटी इकाई द्वारा दर्ज किए गए अधिकांश घातक परिणाम जीवाणु संक्रमण के कारण होते हैं. इन मामलों में, रोगियों में कोई विकसित प्रतिरक्षा प्रणाली नहीं थी, जिससे उन्हें संक्रमण होने का खतरा होता है. डॉ. सतवानी ने बताया कि भारत में रोगियों में मल्टीड्रग प्रतिरोध होता है, जिसके कारण उन्हें जीवाणु संक्रमण होने का खतरा होता है, जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है.  ये संक्रमण उनके अपने शरीर से आते हैं.  यह गलत एंटीबायोटिक सेवन का परिणाम है.  इसने आम आबादी में भी प्रतिरोध पैदा कर दिया है.”

कॉर्टी सेल और जीन थेरेपी के विकल्प उभर रहे हैं

 “जब हम प्रत्यारोपण से पहले अपने रोगियों की जांच करते हैं, तो उनमें से लगभग 40% पहले से ही किसी विशेष एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोधी होते हैं.  कॉर्टी सेल और जीन थेरेपी विधियों को पेश करने के लिए क्षेत्र में शोध किया जा रहा है, जो आने वाले भविष्य में अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण करने के लिए वैकल्पिक तरीकों के रूप में काम करेंगे, जिससे बैक्टीरिया के विकास का जोखिम कम होगा,” डॉ. प्रकाश सतवानी ने कहा.

भोपाल में जन्में है डॉ. प्रकाश सतवानी

डॉ. प्रकाश सतवानी आज पूरे विश्वभर में एक जाने-माने डॉक्टर है. उनके द्वारा आज बोन  मेरो ट्रांसप्लांट को दुनियाभर में एक नई दिशा दी जा रही है और साथ ही इसके सबंध में लोगो को लगातार जागरुक भी कराया जा रहा है. डॉ प्रकाश सतवानी भोपाल में बेहद गरीबी में अपमे माता-पिता के साथ रहते थे. उस वक्त वो अपने माता-पिता के साथ झुग्गी में रहते थे. डॉ. सतवानी के मुताबिक उनकी मां चाहती थी की वो डॉक्टर बने. डॉ. सतवानी ने अपनी नौकरी फार्मेसी में करी थी. यहीं से पेंशेट के लिए उनके मन में सहानुभूती विकसित होने लगी थी. डॉ. सतवानी के भाई की भी कम ही उम्र में मौत हो गई थी. उनके भाई को एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया हुआ था और सही वक्त पर इसका पता भी नहीं चला था.  इस घटना के बाद डॉ. प्रकाश सतवानी का डॉक्टर बनने का विचार और भी मजबूत हो गया था. उन्होने 1996 में भोपाल से मेडिकल स्कूल से स्नातक की पढ़ाई पूरी कर मुंबई से बाल चिकित्सा रेजीडेंसी की.2002 में डॉ. सतवानी  न्यूयॉर्क -प्रेस्बिटेरियन\ कोलंबिया यूनिवर्सिटी पहुंचे , जहां पर फेलो के लिए एक पद खाली था. उनकी फेलोशिप के दौरान ही वो अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण से बहुत ज्यादा प्रभावित हो गये और फिर इसी क्षेत्र में काम करते गये. आज डॉ. सतवानी एक बहुत प्ररित करने वाला नाम बन गया है.   

Report By:
Author
Swaraj