May 10, 2023
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा शामिल हैं, अपना फैसला सुनाने के लिए तैयार हैं।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ गुरुवार को उद्धव ठाकरे-एकनाथ शिंदे के विवाद से संबंधित याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाने वाली है।
जून २०२२ में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 16 विधायकों ने महाराष्ट्र में महा विकास अघडी की गठबंधन सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व पर असंतोष व्यक्त किया था और अपना समर्थन बीजेपी को देकर महा विकास अघडी से अलग हो गए थे।
घटनाक्रम में शिवसेना के नेतृत्व पर भी सवाल उठ गए। फिर शिवसेना के नाम और पार्टी सिंबल पर भी सवाल उठे और उद्धव ठाकरे के गुट को करारा झटका भी लगा जब पार्टी सिंबल और पार्टी का असली नाम भी उनके हाथ से चला गया था।
संविधान पीठ के सामने क्या याचिकाएँ है ?
उद्धव गुट ने 22 जुलाई के फ्लोर टेस्ट को रद्द करने की मांग की है, जिसने एकनाथ शिंदे को सीएम की कुर्सी पर बिठाया था। उन्होंने एक घोषणा भी की कि बागी विधायकों को "पार्टी विरोधी गतिविधि" के कारण अयोग्य माना जाएगा, और इसलिए शिंदे को सीएम नहीं बनाया जा सकता था। शिंदे गुट ने अयोग्यता की कार्यवाही पर विचार करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष की शक्ति के बारे में बात की , भले ही 2016 में पांच-न्यायाधीशों की पीठ के नबाम रेबिया के फैसले ने कहा था कि एक अध्यक्ष ऐसी कार्यवाही पर विचार नहीं कर सकता है यदि उसके खिलाफ अविश्वास की कार्यवाही लंबित है।
फैसले से क्या फर्क पड़ेगा ?
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले का महाराष्ट्र के राजनीतिक समीकरणों पर प्रभाव पड़ेगा। यह निर्धारित करेगा कि क्या एकनाथ शिंदे की सीएम के रूप में नियुक्ति वैध थी और क्या बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किया गया था। यह निर्णय अयोग्यता की कार्यवाही पर विचार करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों को भी स्पष्ट करेगा।








