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World Day Against Child Labour 2021: दो दशक में पहली बार बाल श्रम में बच्चों की संख्या बढ़ी

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Jun 12, 2021

अपने देश के समक्ष बालश्रम की समस्या एक चुनौती बनती जा रही है। सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम भी उठाये हैं। समस्या के विस्तार और गंभीरता को देखते हुए इसे एक सामाजिक-आर्थिक समस्या मानी जा रही है जो चेतना की कमी, गरीबी और निरक्षरता से जुड़ी हुई है। इस समस्या के समाधान हेतु समाज के सभी वर्गों द्वारा सामूहिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।
 

दो दशक में पहली बार बाल श्रम में बच्चों की संख्या बढ़ी

रिपोर्ट में बाल मजदूरी में 5 से 11 साल उम्र के बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी की ओर इशारा किया गया है जो पूरी दुनिया में कुल बाल मजदूरों की संख्या की आधे से अधिक है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘दुनियाभर में बाल श्रम में बच्चों की संख्या बढ़कर 16 करोड़ हो गयी है। इसमें पिछले चार साल में 84 लाख की वृद्धि हुई है। कोविड-19 के प्रभाव के कारण लाखों और बच्चे बाल श्रम की ओर आने के जोखिम में हैं।’’
यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि डॉ यास्मीन अली हक ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी साफतौर पर बाल अधिकार के लिए संकट के रूप में उभरी है जिससे कई और परिवारों के अत्यंत गरीब होने के कारण बाल श्रम बढ़ने का जोखिम और बढ़ गया है।

इस साल की थीम

12 जून का दिन दुनियाभर में बाल श्रम निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसमें छोटे बच्चों की मजदूरी की वजहों, स्थितियों पर चर्चा के साथ उसे रोकने के प्रयासों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ये कार्यक्रम साल 2002 से चले आ रहे हैं लेकिन आज तक इसे पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सका है। इस साल की थीम है, ' Act now: End child labour'

बाल श्रम का इतिहास

वर्ष 1979 में भारत सरकार ने बाल-मज़दूरी की समस्या और उससे निज़ात दिलाने हेतु उपाय सुझाने के लिए 'गुरुपाद स्वामी समिति' का गठन किया था। समिति ने समस्या का विस्तार से अध्ययन किया और अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की। उन्होंने देखा कि जब तक गरीबी बनी रहेगी तब तक बाल-मजदूरी को हटाना संभव नहीं होगा। इसलिए कानूनन इस मुद्दे को प्रतिबंधित करना व्यावहारिक रूप से समाधान नहीं होगा। ऐसी स्थिति में समिति ने सुझाव दिया कि खतरनाक क्षेत्रों में बाल-मजदूरी पर प्रतिबंध लगाया जाए तथा अन्य क्षेत्रों में कार्य के स्तर में सुधार लाया जाए। समिति ने यह भी सिफारिश की कि कार्यरत बच्चों की समस्याओं को निपटाने के लिए बहुआयामी नीति बनाये जाने की जरूरत है।

बाल श्रम निषेध दिवस का महत्व

बच्चों के विकास पर आधारित और केंद्रित होता है यह दिन। बाल श्रम की सबसे बड़ी वजह ही गरीबी है। जिससे मजबूर होकर बच्चों को मजदूरी करना पड़ता है। गरीबी को पूरी तरह मिटाने में अभी और कई साल लगने वाले हैं लेकिन बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए कई संगठन कोशिश कर रहे हैं और कुछ हद तक कामयाब भी हुए हैं। बच्चे हर देश का भविष्य हैं। ये समझते हुए अपने फ्यूचर के बारे में सोचें और उसे बचाएं।