Oct 18, 2024
यह बात तो सभी भक्त जानते ही है की भगवान महाकाल की कार्तिक और अगहन मास में शाही सवारी निकलती है। इसकी शुरूआत 20 नवंबर सोमवार के रोज से होगी । यह कार्तिक और अगहन मास की पहली सवारी है, जिसमें भगवान महाकाल भक्तों को दर्शन देंगे। भक्तों में इस पवित्र दिन का इंतजार और उत्साह देखा गया है । जिसके लिए अभी से ही तैयारी शुरू कर दी गई है। इस वर्ष यह सवारी 20 नवंबर से 11 दिसंबर के बीच निकलेगी साथ ही इस वर्ष भगवान महाकाल की चार सवारी निकलेगी।
महाकाल की सवारी
ऐसा मानना है की महाकाल की कार्तिक और अगहन मास में सवारी करना प्राचीनकाल से ही चला आ रहा है। इस दिन भगवान महाकाल की पूरी विधि विधान से पूजा की जाती है। फिर पालखी में बैठ कर भगवान भ्रमण के लिए निकल जाते है। हर साल परंपरा के अनुसार भगवान महाकाल की सवारी भ्रमण कर रामघाट पहूंचती है । जहां भगवान महाकाल का अभिषेक होता है और पालकी में बैठ भगवान मंदिर वापस लौटते है।
सावन और कार्तिक की सवारी में कोई अंतर नहीं
कार्तिक और अगहन में भगवान महाकाल की सवारी निकलती है। जिसमें भगवान महाकाल की पूजा की जाती है । यह पूजा सावन की पूजा की तरह ही होती है। इसमें किसी भी तरह का कोई अंतर नहीं होता । कार्तिक और अगहन में भगवान महाकाल की पूजा पूरे विधि विधान से सावन की पूजा के जैसे ही होती है। लेकीन श्रद्धालुओं की संख्या में जरूर कम ज्यादा हो सकता है। प्राचीन काल से चल रही परंपरा के अनुसार सावन और भादों में सवारी भ्रमण पर निकलती है उसी तरह कार्तिक और अगहन में भगवान महाकाल की भी सवारी निकाली जाती हैं।