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प्रधानमंत्री मोदी ने शहीद भगत सिंह को उनकी 117वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी

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Sep 28, 2024

28 सितंबर, 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा (अब पाकिस्तान में) में जन्मे शहीद भगत सिंह को भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण क्रांतिकारियों में से एक माना जाता है.  स्वतंत्रता के लिए उनके दृढ़ समर्पण और देश की स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन का बलिदान करने की इच्छा ने उन्हें औपनिवेशिक शासन के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बना दिया है. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह की जयंती के अवसर पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी. 

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पीएम मोदी ने कहा, "मातृभूमि के स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीद भगत सिंह की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन."

एक्स पर एक वीडियो में प्रधानमंत्री ने भगत सिंह के साहस और निस्वार्थ समर्पण की सराहना करते हुए कहा, "हमारे देश के हर नागरिक की तरह, मैं साहस और शक्ति के प्रतीक शहीद भगत सिंह को नमन करता हूं. अपनी जान की परवाह किए बिना, भगत सिंह और उनके साथियों ने साहसिक कार्यों में भाग लिया, जिसने हमारे देश की आजादी में बहुत बड़ा योगदान दिया."

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे जोर देकर कहा कि भगत सिंह के लिए व्यक्तिगत गौरव कभी चिंता का विषय नहीं रहा. उन्होंने कहा, "उन्होंने सिर्फ एक मिशन के लिए जीवन जिया और उसी मिशन के लिए अपनी जान दे दी - भारत को अत्याचार और ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना. ऐसे समय में जब ब्रिटिश साम्राज्य दावा करता था कि उसके शासन में कभी सूरज नहीं डूबता, एक 23 वर्षीय युवक ने उनकी सत्ता को हिला दिया."

अपने संदेश के समापन में प्रधानमंत्री ने राष्ट्र से भगत सिंह के देशभक्ति के जज्बे से प्रेरणा लेने का आग्रह किया: "हम भगत सिंह बनें या न बनें, लेकिन हमारे मन में अपने देश के प्रति उतना ही प्रेम होना चाहिए. हमें अपने देश के लिए कुछ करने का जुनून पैदा करना चाहिए."

शहीद भगत सिंह कौन थे?

28 सितंबर, 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा (अब पाकिस्तान में) में जन्मे शहीद भगत सिंह को भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण क्रांतिकारियों में से एक माना जाता है. स्वतंत्रता के लिए उनके दृढ़ समर्पण और देश की स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन का बलिदान करने की इच्छा ने उन्हें औपनिवेशिक शासन के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बना दिया है. 

भगत सिंह, उनके साथियों सुखदेव और राजगुरु के साथ, लाहौर षडयंत्र मामले में उनकी संलिप्तता के लिए 23 मार्च, 1931 को ब्रिटिश सरकार द्वारा फांसी दी गई थी. उनकी निडर सक्रियता और कार्रवाई के आह्वान ने लाखों भारतीयों, विशेषकर युवाओं में स्वतंत्रता की भावना को प्रज्वलित किया. 

राष्ट्र भगत सिंह को एक सच्चे देशभक्त के रूप में याद करता है और उनका सम्मान करता है जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया. 

Report By:
Devashish Upadhyay.