Oct 1, 2024
Tirupati Laddu News : सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर सख्त रुख अपनाया है, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से दावा किया था कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावटी घी था. कोर्ट ने मिलावट के सबूत मांगे और मुख्यमंत्री से पूछा, 'आपने किस आधार पर कहा कि लाडवा में मिलावटी घी का इस्तेमाल होता था? कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया लाडवा में किसी भी तरह की मिलावट का कोई सबूत नहीं है.
'भगवान को राजनीति से दूर रखना चाहिए'
सुप्रीम कोर्ट ने नायडू के दावे पर सवाल उठाए और कहा, 'संविधान के पद पर बैठे लोगों से जिम्मेदारी की उम्मीद की जाती है. उन्हें बिना किसी पुष्टि के सार्वजनिक तौर पर ऐसा बयान नहीं देना चाहिए.' उनके ऐसे बयान से करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत होती हैं.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा और मुकुल रोहतगी से भी कहा कि कम से कम भगवान को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए.
अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को है
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के बयान पर सख्त शब्द कहने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को करने का फैसला किया है.
नायडू ने 18 सितंबर को मीडिया से कहा था कि पिछली जगन मोहन रेड्डी सरकार के कार्यकाल के दौरान प्रसादी में मिलावटी पशु वसा का इस्तेमाल किया जाता था. उन्होंने घी में मिलावट की जांच रिपोर्ट की भी घोषणा की.
लाडवा में मिलावट के मामले में कुल पांच एफआईआर
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के बयान के बाद हिंदू आस्था के केंद्र तिरूपति बालाजी मंदिर की प्रसादी में गड़बड़ी के मुद्दे पर कई सवाल उठ रहे हैं. उनके बयान के बाद सुब्रमण्यम स्वामी समेत कुल पांच याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं. इन याचिकाओं में कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष सुनवाई की मांग की गई है. उधर, मंदिर बोर्ड ने बयान दिया है कि आवेदन में मिलावटी घी का इस्तेमाल नहीं किया गया है.
कोर्ट ने जांच के आदेश दिये
कोर्ट ने कहा कि आपने मामले की जांच के आदेश दिए हैं, अगर जांच चल रही है तो जांच पूरी होने से पहले आपको मीडिया में बयान देने की क्या जरूरत थी. कोर्ट ने मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि घी में मिलावट की रिपोर्ट जुलाई में आई थी तो बयान 18 सितंबर को क्यों दिया गया? मुख्यमंत्री ने पहले बयान दिया था और 25 सितंबर को एफआईआर दर्ज की गई थी और 26 सितंबर को जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था. इस मसले पर जब कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा तो उन्होंने कहा कि यहां आस्था का सवाल है और अगर मिलावटी घी का इस्तेमाल किया गया है तो यह अस्वीकार्य है. इस मामले की जांच होनी चाहिए.