Feb 4, 2023
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने बड़े बेटे दिवाकर सिंह धामी के साथ यज्ञ किया। सीएम के साथ उनकी पत्नी समेत परिवार के लोग मौजूद रहे. इसी बीच मुख्यमंत्री ने अपने तीर्थ के पुजारी से अपना नाम अपनी वंशावली पुस्तक में लिखवा लिया।
हरिद्वार में पवित्र गंगा के तट पर यज्ञोपवीत संस्कार किये जाते थे। हिन्दू धर्म में कुल 16 संस्कार होते हैं जिनमें से यज्ञोपवीत संस्कार का विशेष महत्व है। इसे उपनयन संस्कार भी कहते हैं। यह कोई धागा नहीं है बल्कि इससे विशेष मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं। जानोई मानने के बाद अपने जीवन में नियमों का पालन करना होता है। उसे अपने दैनिक जीवन की गतिविधियों को जनोई को ध्यान में रखकर करना होता है।
बालक के 8 वर्ष की आयु तक पहुंचने पर यज्ञोपवीत संस्कार किए जा सकते हैं, लेकिन आज के समय में बदली जीवनशैली के कारण बचपन में यज्ञोपवीत संस्कार नहीं किए जाते हैं। अब विवाह के समय यज्ञोपवीत संस्कार करने का चलन है। सनातन धर्म में आज भी बिना जनेऊ संस्कार के विवाह संपन्न नहीं माना जाता है।








