Feb 9, 2024
भोपाल । विधानसभा चुनाव में लोकसभा सांसदों को मैदान में उतारकर चौंकाने वाली भाजपा राज्यसभा के चुनाव में भी चौंकाने वाले उम्मीदवार उतार सकती है। उम्मीदवारों को लेकर मप्र भाजपा की चुनाव समिति मंथन कर चुकी है, इसमें स्थानीय नेताओं के नाम प्रस्तावित किए गए हैं, जिनकी उम्मीदवारी पर मोहर दिल्ली में लगेगी। विधानसभा में राजनैतिक दलों के विधायकों के संख्या बल के हिसाब से भाजपा के 4 प्रत्याशियों का चुना जाना तय है एक सीट पर कांग्रेस की जीत तय है। राज्यसभा की 56 रिक्त सीटों के लिए इस महीने चुनाव होना है, इसमें से 5 सीटें मप्र की भी शामिल हैं। इन 5 सीटों मे से 4 पर भाजपा के सांसद थे और एक सीट पर कांग्रेस का सांसद था। भाजपा के 4 सांसदों में से 2 प्रदेश के और 2 अन्य़ प्रदेश के भाजपा नेता थे, जिन्हें मप्र के कोटे से चुनकर भेजा गया था। मप्र से कैलाश सोनी और अजय प्रताप सिंह यादव सांसद थे, जबकि धर्मेंद्र प्रधान और एल. मुरुगन उड़ीसा और केरल से थे।
कविता और सुमित्रा ने नामों ने चौंकाया -
मप्र में राज्यसभा की 3 सीटों के लिए 2022 में भी चुनाव हुआ था। इस चुनाव में भी मोदी-शाह और नड्डा की तिकड़ी मप्र के बड़े नेताओं के नाउम्मीद कर ऐसे नामों पर मोहर लगाई थी, जिनके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था। उस समय भी मप्र के धुरंधर भाजपा नेता अपनी उम्मीदवारी के लिए दावेदारी कर रहे थे और उम्मीद लगाए बैठे थे कि दिल्ली में पैठ के दम पर टिकट हासिल भी कर लेंगे, लेकिन भाजपा हाइकमान ने कविता पाटीदार और सुमित्रा वाल्मीकि को राज्यसभा उम्मीदवार बनाकर न केवल दावेदारों को निराश किया था बल्कि राजनैतिक पंडितों को भी हैरान कर दिया था। इसके पहले 2020 में भी भाजपा हाइकमान द्वारा सुमेरसिंह सोलंकी को उच्च सदन भेजने के फैसले की किसी को भनक तक नहीं लग पाई थी..
लोकसभा चुनाव के मद्देजनर तय हो सकते हैं प्रत्याशी -
लोकसभा चुनाव के एन पहले देश में 56 सीटों के लिए होने जा रहे राज्यसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस लोकसभा चुनाव के गणित के हिसाब से टिकट दे सकती है। भाजपा ने ऐसा किया तो जरूरी नहीं है कि मप्र के दावेदारों को ही उच्च सदन जाने का टिकट मिले, भाजपा पिछली बार की तरह अन्य राज्य के नेता को भी मप्र से उच्च सदन भेज सकती है। इसमें महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार के अलावा टालीवुड के सितारे का भी नंबर लग सकता है। लोकसभा में भाजपा 400+ सीटों के लक्ष्य के लिए इन राज्यों के जातिगत समीकरण साधने के लिए मप्र से उच्च सदन भेजने का रास्ता अपना सकती है। सूत्रों का कहना है कि यूपी और बिहार से एक-एक नेता को मप्र के रास्ते राज्यसभा में भेजने पर पार्टी काम कर रही है।
राज्यसभा की 4 सीटों पर यह गणित -
मप्र में राज्यसभा की कुल 11 सीटों में से 6 सीटों में से 4 पर भाजपा और 2 पर कांग्रेस सांसद हैं. इनका कार्यकाल 2028 में पूरा होगा। भाजपा के 4 सांसदों में 2 ओबीसी वर्ग से 1 एसटी वर्ग से और 1 एससी वर्ग से है। भाजपा के 4 सांसदों में 2 महिलाएं कविता पाटीदार एवं सुमित्रा वाल्मीकि हैं एवं ओबीसी से ज्योतिरादित्य सिंधिया व आदिवासी समाज से सुमेर सिंह सोलंकी हैं।
मप्र से किसका नंबर लगेगा -
इस बार भी राज्यसभा की 4 सीटों पर पार्टी के किस नेता का लक साथ देगा, इस पर सभी की निगाहें टिकी है। मप्र भाजपा में अभी तो यह भी कोई बताने को तैयार नहीं है कि क्या इन 4 सीटों पर चारों उम्मीदवार मप्र के कोटे से होंगे या फिर पिछली बार की तरह इस बार भी बाहर के राज्यों से नेताओं को मप्र से उच्च सदन में भेजा जाएगा। इन 4 रिक्ट सीटों में से 2 पर अन्य राज्यों के भाजपा नेताओं को टिकट देकर राज्यसभा भेजा गया था।
राज्यसभा चुनाव को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही है कि मप्र के किस नेता को उच्च सदन में जाने का मौका मिलेगा। अंदरखाने में भाजपा की चुनाव समिति द्वारा कुछ नेताओं का पैनल भेजे जाने की चर्चा है।
पहला नाम जयभान सिंह पवैया का है, जो राममंदिर आंदोलन से जुड़े रहे हैं। बजरंग दल के मुखिया रहे हैं...मप्र भाजपा का बड़ा चेहरा है. मप्र में शिवराज कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं...कट्टर हिंदूवादी छवि है और वर्तमान में महाराष्ट्र के सहप्रभारी है...
दूसरा नाम लालसिंह आर्य का है, ये भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक रहे हैं, इसलिए उन्हें संघ का भी सपोर्ट मिल सकता है...हालांकि लालसिंह हाल ही विधानसभा चुनाव हारे हैं...
तीसरा नाम विनोद गोटिया का है, ये भी संघ के करीबी है...और अभी मप्र पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष हैं..महाकौशल से आते हैं और संगठन में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं...ब्राह्मण समुदाय से हैं...
चौथा नाम उमाशंकर गुप्ता का है, गुप्ता भी संघ के करीबी हैं. शिवराज कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं...वैश्य समुदाय से आते हैं...विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिए जाने से नाराज हो गए थे...
दो अन्य नाम रंजना बघेल और लता बानखेड़े के लिए जा रहे हैं...रंजना बघेल आदिवासी समुदाय से निमाड़ से आती हैं...विधानसभा चुनाव में इनको टिकट नहीं दिया गया था...ये भी शिवराज कैबिनेट में मंत्री रह चुकी हैं....वहीं लता बानखेड़े राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रह चुकी हैं..
रिपोर्ट - अंकित तिवारी