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बिपिन रावत को थल सेना प्रमुख बनाकर मोदी सरकार ने की इस नियम की अनदेखी

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Dec 18, 2016

केंद्र सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को देश का नया थल सेना प्रमुख नियुक्त किया है. वे मौजूदा आर्मी चीफ दलबीर सुहाग की जगह लेंगे. हालांकि, बिपिन रावत की नियुक्ति को लेकर विवाद भी शुरू हो गया है. मोदी सरकार ने इस फैसले में सेना प्रमुखों की नियुक्ति में लंबे समय से चले आ रहे वरिष्ठता सिद्धांत को दरकिनार किया है। आमतौर पर सेनाओं के प्रमुखों की नियुक्ति की घोषणा दो से तीन महीने पहले कर दी जाती है, लेकिन पहली बार यह 14 दिन पहले किया गया है. जनरल दलबीर सिंह सुहाग के बाद पूर्वी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी को आर्मी में सबसे सीनियर होने के नाते आर्मी चीफ पद का अगला दावेदार माना जा रहा था, पर ऐसा हुआ नहीं.

कब-कब हुआ विवाद?
लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी के बाद दक्षिणी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हैरिज भी दावेदार हो सकते थे. बिपिन रावत पीएम हैरिज के भी जूनियर हैं. सेना में वरिष्ठ अधिकारी की जगह अन्य अधिकारी को सेना प्रमुख बनाना नई बात नहीं है. वर्ष 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लेफ्टिनेंट जनरल एस वैद्य को लेफ्टिनेंट जनरल एस के सिन्हा से आगे बढ़ाते हुए सेना प्रमुख नियुक्त किया था. लेफ्टिनेंट जनरल सिन्हा ने विरोध में इस्तीफा दे दिया था. इससे पहले गांधी सरकार ने जनरल (बाद में फील्ड मार्शल) सैम मानेकशॉ के बाद कार्यभार संभालने के लिए लेफ्टिनेंट जनरल पीएस भगत को दरकिनार करते हुए जनरल जीजी बेवूर के कार्यकाल में एक साल का विस्तार दिया और इस दौरान भगत सेवानिवृत्त हो गए.

इंदिरा सरकार ने भी की थी अनदेखी
बिपिन रावत ने 1 सितंबर को वाइस चीफ का कार्यभार संभाला था. दूसरी पार्टियां भी बिपिन रावत की नियुक्ति का विरोध कर रही हैं. उनका कहना है सीनियर अधिकारियों को दरकिनार कर बिपिन रावत को आर्मी चीफ क्यों बनाया गया? इसके अलावा एयर मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोवा नए वायु सेना प्रमुख बनाए गए हैं. वे एयर चीफ मार्शल अरुप राहा की जगह लेंगे.

कांग्रेस ने उठाए सवाल
1983 में लेफ्टिनेंट जनरल ए एस वैद्य को 13वां थल सेना प्रमुख बनाया गया था, जबकि उनसे ज्यादा वरिष्ठ सेनाधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल एस के सिन्हा थे.
कांग्रेस ने भी इस नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता मनीष शर्मा का कहना है कि आर्मी चीफ की नियुक्ति में वरिष्ठता के सिद्धांत का पालन क्यों नहीं किया गया? क्यों लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और लेफ्टिनेंट जनरल पीएस भगत की सीनियरिटी को नजरअंदाज किया गया?