Feb 10, 2017
कोरिया। जिले के चिरमिरी में जहरीली गैस से एक चरवाहे और एक बकरी की मौत हो गई। लेकिन एसईसीएल प्रबंधन यह मानने को तैयार ही नहीं है कि इनकी मौत जहरीली गैस से हुई है। हद तो तब हो गई जब एसईसीएल चिरमिरी की ओर से गैस रिसाव का पता करने पहुंची टीम ने भी यह कह दिया कि यहां कोई जहरीली गैस नहीं निकल रही। ऐसे में सवाल यह उठता है कि प्रभावित क्षेत्र में मुर्गियों को ले जाने पर पलक झपकते ही कैसे उनकी मौत हो जाती है। दरअसल, कोयला उत्पादन के लिए देशभर में मशहूर चिरमिरी में अब लोग बेमौत मरने को मजबूर हैं। क्योंकि चिरमिरी क्षेत्र में अंदर ही अंदर भभक रही आग से डोमनहिल समेत कई इलाकों में जमीन के अंदर बडी दरारों से जानलेवा जहरीली गैस का रिसाव हो रहा है। फिजाओं में घुलती इसी जहरीली गैस की चपेट में आकर इंसानों से लेकर बेजुबान जानवरों तक की सांसे थम रही हैं। इसी सिलसिले में एक बार फिर बकरी चराने गए एक चरवाहे की बकरी समेत जहरीली गैस के चपेट में आने से मौत हो गई।
घटना के बाद जब पुलिसकर्मी दो मुर्गियों को लेकर प्रभावित क्षेत्र की जांच करने पहुंचे तो पलक झपकते ही दोनों मुर्गियों की मौत हो गई। लेकिन बावजूद इसके एसईसीएल प्रबंधन का कहना है कि ऐसी किसी प्रकार की जहरीली गैस नहीं निकल रही है जिससे जीवन को खतरा हो। लिहाजा इसके बाद एक बार फिर पुलिस अधिकारी एक मुर्गी को लेकर मौके पर पहुंचे और मुर्गी की मौके पर ही मौत हो गयी। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर एसईसीएल प्रबंधन यह मानने को तैयार क्यों नहीं है कि चरवाहे और मुर्गी की मौत जहरीली गैस के रिसाव की वजह से हुई है। सवाल तो यह भी उठता है कि आखिर कंपनी के जिम्मेदार अधिकारी क्य़ों हजारों ग्रामीणों की जान हर रोज जोखिम में डालने पर आमादा हैं। डीजीएमएस के प्रावधानों के तहत कोयला उत्पादन के बाद संबंधित क्षेत्रों को रेत और मिट्टी से भरना जरूरी है, ताकि वहां गैस का रिसाव न हो सके और किसी प्रकार का कोई खतरा न रहे। लेकिन चिरमिरी में एसईसीएल प्रबंधन ने अब तक इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। ऐसे में देखना होगा कि मिनी रत्न कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों की आंखें कब खुलती है। - रिपोर्ट स्वराज एक्सप्रेस & स्वराज डिजिटल