Dec 16, 2016
12वीं के बाद नए सत्र के लिए दाखिलों का इंतजार कर रहे युवाओं के लिए एक अच्छी खबर है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उनके लिए तीन नियम लागू किए हैं। नए सत्र से इन नियमों से छात्रों को फायदा होगा और उच्च शिक्षण संस्थानों को शोषण से मुक्ति मिलेगी। इसमें एडमिशन वापस लेने पर शुल्क वापसी का नियम भी शामिल है।
यूजीसी ने नए सत्र के लिए तय कर दिया है कि उच्च शिक्षण संस्थान अब किसी भी छात्र से उसके असली प्रमाण पत्र, मार्कशीट, लीविंग सर्टिफिकेट या अन्य कोई दस्तावेज जमा नहीं करा पाएंगे। उत्तराखंड में भी तमाम शिक्षण संस्थान ऐसे हैं, जहां छात्रों से उनके असली प्रमाण पत्र जमा कराए जाते हैं और कोर्स पूरा होने के बाद लौटाए जाते हैं।
नए नियम के मुताबिक संस्थान दाखिले के समय प्रमाण पत्रों की फोटोकॉपी अपने पास रख सकते हैं और इनसे ही वेरिफिकेशन कर सकते हैं। इसके अलावा अब कोई भी संस्थान कोर्स के दौरान छात्र को प्रॉस्पेक्टस नहीं बेच सकता है। संस्थान केवल सेमेस्टर या उस साल की ही एडवांस फीस छात्रों से ले सकेंगे, जब वह पढ़ रहा होगा। यानी पूरे कोर्स की एक साथ एडवांस फीस नहीं ली जा सकती है।
यूजीसी ने शुल्क वापसी के मामले में भी चार स्तर का नियम बनाया है। इसके तहत अहम बात यह है कि अगर छात्र ने एडमिशन लेने के 15 दिन के भीतर प्रवेश रद्द कराने का नोटिस संस्थान को दे दिया है तो जमा की गई फीस में से संस्थान दस प्रतिशत काटकर बाकी शुल्क लौटाएगा। इससे अधिक शुल्क नहीं काटा जा सकेगा। इससे छात्रों को फायदा होगा।
प्रदेश में हर साल कई ऐसे मामले आते हैं, जब निर्धारित समय सीमा में दाखिला रद्द कराने पर भी संस्थान बमुश्किल 50 प्रतिशत तक शुल्क ही लौटाते हैं। ऐसे तमाम मामलों के त्वरित निपटारे के लिए यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को एक शिकायत निपटारा समिति गठित करने का निर्देश दिया है। नियमों की अवहेलना करने पर संस्थान की मान्यता खत्म करने की कार्रवाई भी की जा सकती है।