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लक्षलिंग पर भक्तों ने चढ़ाये सवा लाख चावल

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Jul 17, 2017

जांजगीर-चांपा : जिले के छत्तीसगढ़ में काशी के नाम से विख्यात खरौद नगर के ‘लक्ष्मणेश्वर मंदिर’ में पवित्र सावन माह के दूसरे सोमवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। छग के अलावा उड़ीसा, मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु यहां पहुंचे। हजारों की संख्या में आये श्रद्धालु भगवान लक्ष्मणेश्वर के एक दर्शन पाने के लिए आतुर नजर आए। दर्शन के लिए मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मंदिर में स्वयं-भू लक्षलिंग हैं। जिसमें सवा लाख छेद हैं।

विश्व में ऐसा लक्षलिंग विश्व के किसी शिव मंदिर में नहीं हैं। भक्तों में ऐसी मान्यता हैं कि लक्षलिंग के दर्शन से सवा लाख पुण्य मिलता हैं। संतान प्राप्ति और मनोकामना पूर्ति के सवा लाख चावल लक्षलिंग में चढ़ाया जाता हैं। खरौद के लक्ष्णेश्वर मंदिर 8 वीं शताब्दी में निर्मित काफी पुरातन मंदिर हैं। भक्तों के द्वारा अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए स्वयं-भू लक्ष्णेश्वर भगवान में सवा लाख चावल चढ़ाया जाता हैं। मंदिर में जो ‘लक्ष लिंग’ स्थित हैं उसमें एक लाख छिद्र हैं और इसे भगवान शिव का अंश माना जाता हैं। 

लक्ष्मणेश्वर मंदिर को लेकर अनेक कहानियां हैं। ऐसा भी माना जाता हैं कि भगवान राम के वनवास के दौरान भगवान लक्ष्मण को क्षय रोग हो गया था, जिसके बाद उन्होंने इसी जगह पर भगवान शिव की प्रार्थना की और उन्हें क्षय रोग से मुक्ति मिली। मान्यता हैं कि यहां क्षय रोग यानी टीबी दूर हो जाता हैं। साथ ही निःसंतान दंपती संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती हैं।