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सीएम भूपेश बघेल जल्द करेंगे मंत्रीमंडल का गठन, सूची हुई तैयार

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Dec 20, 2018

विनोद दुबे : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जल्द ही अपने मंत्री मंडल का गठन करने जा रहे हैं, मंत्री मंडल की संभावित सूची भी लगभग तैयार हो गई है जिसे लेकर वे एक दो दिन में दिल्ली रवाना हो सकते है। जहां आलाकमान से मंत्री मंडल के गठन और विभागों के बंटवारे के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष को लेकर भी चर्चा होगी। इसके अलावा पीसीसी अध्यक्ष के नाम भी इस बैठक में तय होने की उम्मीद मानी जा रही है। आलाकमान से संभावित सूची में मुहर लगने के बाद वे राजधानी रायपुर लौटेंगे। 24 से 30 नवंबर तक राज्यपाल आनंदीबेन पटेल छुट्टी में जा रही हैं लिहाजा 24 दिसंबर से पहले ही प्रदेश में मंत्रीमंडल का गठन कर दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ की नई सरकार में सभी वर्गों को तरजीह देने की उम्मीद है। जहां संभागवार और भौगोलिक परिस्थितियों का भी ख्याल रखे जाने की जानकारी आ रही है। छत्तीसगढ़ की नई सरकार में सीएम भूपेश को छोड़कर 12 सदस्यीय मंत्रीमंडल, 1 विधानसभा अध्यक्ष, 1 उपाध्यक्ष होंगे। जिनके नामों पर दिल्ली में मुहर लगाई जाएगी।

ये विधायक हो सकते हैं सरकार का हिस्सा

भूपेश के मंत्रीमंडल में कम से कम 4 चेहरे सामान्य वर्ग से हो सकते हैं जिसमें कि टीएस सिंहदेव पहले ही शपथ ले चुके हैं। सिंहदेव के अलावा प्रदेश के सबसे वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा रायपुर से हैं जो कि रायपुर संभाग का प्रतिनिधित्व करते हैं और रायपुर की जनता के लिए आसानी से उपलब्ध भी हो जाते हैं। इस लिहाज से उनका मंत्री पद का दावा पुख्ता है। प्रदेश में दूसरे नंबर पर सर्वाधिक मतों से जीतने वाले अमितेश शुक्ल हैं वे प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल और पूर्व केन्द्रीय मंत्री व झीरम हमले में शहीद विद्याचरण शुक्ल की साझी विरासत संभाल रहे हैं इसलिए इनका भी मंत्री पद का दावा पुख्ता माना जा रहा है। इसके अलावा दुर्ग संभाग से कद्दावर नेता रविन्द्र चौबे का दावा भी मजबूत है चौबे पूर्व में मंत्री रहने के अलावा नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। इनके अलावा दुर्ग से ही अरुण वोरा का नाम भी मंत्री पद की दौड़ में शामिल है, वे कांग्रेस के महामंत्री व पूर्व में कोषाध्यक्ष व मुख्यमंत्री रह चुके मोतीलाल वोरा के पुत्र हैं इन चारों को ही मंत्री पद मिल सकता है या फिर इन चारों में से तीन को मंत्री और 1 को विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है।

इनके अलावा नई सरकार में पिछड़े वर्ग से सीएम भूपेश खुद आते हैं इसलिये मंत्रीमंडल में दो से तीन विधायकों को शामिल करने की संभावना है, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद पिछड़ा वर्ग और कुर्मी समाज से हैं, उनके अलावा ताम्रध्वज साहू भी पिछड़ा वर्ग और साहू समाज से हैं। लिहाजा तीन और लोगों को नई सरकार में शामिल किया जा सकता है जिसमें सक्ती से विधायक चरणदास महंत, पूर्व मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष रह चुके धनेन्द्र साहू, झीरम घाटी में शहीद हुए पूर्व पीसीसी अध्यक्ष नंद कुमार पटेल के बेटे और खरसिया विधायक उमेश पटेल को मंत्री मंडल में शामिल किया जा सकता है। उमेश युवा भी हैं इस लिहाज से युवा का भी प्रतिनिधित्व मंत्रीमंडल में पूरा हो जाएगा। हालांकि उन्हें युवा आयोग भी दिया जा सकता है उधर चर्चा यह भी है कि चरणदास महंत काफी सीनियर हैं लिहाजा उन्हें विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है।

अनुसूचित जनजाति वर्ग से कम से कम 4 मंत्री शामिल किये जाने की उम्मीद है जिसमें सरगुजा संभाग से 3 आदिवासी विधायकों के दावे पुख्ता हैं। उनमें 8 बार विधायक रहे पत्थलगांव से राम उपकार सिंह, गृहमंत्री को हराकर विधानसभा पहुंचे प्रेमसाय सिंह टेकाम हैं जो कि पूर्व में भी मंत्री रह चुके हैं। इनके साथ ही सीतापुर से विधायक अमरजीत सिंह भगत को भी भूपेश के मंत्री मंडल में शामिल किये जाने की उम्मीद है। वहीं डौंडी लोहारा से अनिला भेड़िया की दावेदारी भी पुख्ता है वे अनुसूचित जनजाति वर्ग से होने के अलावा दो बार लगातार जीत के विधानसभा में पहुंची हैं और महिला भी हैं इस लिहाज से भूपेश के मंत्रीमंडल में अनिला भेड़िया की जगह भी पक्की मानी जा रही है। बस्तर से आदिवासी समुदाय से कवासी लखमा का मंत्री बनना तय है, उनके अलावा मनोज मंडावी को भी मंत्री मंडल में जगह मिल सकती है। मंडावी अजीत जोगी के मंत्री मंडल में मंत्री रह चुके हैं इसके अलावा वे कांग्रेस के अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं।

अनुसूचित जाति वर्ग से शिव कुमार डहरिया का दावा सबसे ज्यादा पुख्ता है वे कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। हालांकि गुरु रुद्र कुमार भी मंत्री पद के दौड़ में हैं लेकिन दुर्ग संभाग से खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, ताम्रध्वज साहू, रविन्द्र चौबे और अरुण वोरा और अनिला भेड़िया भी आती हैं लिहाजा गुरु रुद्र कुमार को मंत्री मंडल में शामिल करने की उम्मीदें कम है, उन्हें अनुसूचित जाति आयोग या निगम-मंडल की जिम्मेदारी दी जा सकती है।

उसके अलावा सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले और अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले मोहम्मद अकबर का दावा संभावित सूची में सबसे ज्यादा पुख्ता है। सहज सरल स्वभाव के मोहम्मद अकबर पूर्व में भी मंत्री रह चुके हैं और कांग्रेस के विद्वान नेताओं में इनकी गिनती सबसे ऊपर होती है।

पीसीसी अध्यक्ष पर भी लग सकती है मुहर
इन विधायकों में से किसी 1 विधायक को पीसीसी अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी दी जा सकती है. पीसीसी को संभालते हुए भूपेश पांच साल पूरा कर लिये हैं, अब चूंकि भूपेश खुद सीएम बन गए हैं। इसलिए नए पीसीसी अध्यक्ष की नियुक्ति भी होनी है भूपेश सत्ता के साथ ही संगठन की कमान भी अपने हाथों में रखना चाहेंगे जिससे कि सत्ता और संगठन मिलकर काम कर सके. लिहाजा पीसीसी अध्यक्ष भी भूपेश बघेल की पसंद का होगा। जो कि इन विधायको में से किसी एक को इसकी जिम्मेदारी मिल सकती है।