Apr 25, 2019
अमर मंडल- विकास खंड कोयलीबेड़ा के आश्रित ग्राम पंचायत घोड़ागांव में अंजारी नाला में बरसात के दिनों पानी भर जाता है, जिसके चलते अंजारी नाला के उस पार बसे 40 ग्राम टापू बन जाते हैं। बरसात के दिनों में संवेदनशील 40 गांव के ग्रामीणों को जो परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिसके निदान में ग्रामीणों ने एक विकल्प ढूंढ निकाला है। विकल्प के रूप में ग्रामीणों ने श्रमदान कर एवं सभी ग्रामों के लोगों से चंदा इकट्ठा कर लकड़ी का पुल का निर्माण कर इस समस्या से लड़ना सीख लिया है।
बरसात के दिनों में ग्रामीणों और मरीजों को होती थी बहुत परेशानी
बरसात का पानी नाला में भर जाने से संवेदनशील व नक्सली इलाके के 40 गॉव के लोग प्रभावित रहते हैं। बरसात में पखांजूर मुख्यालय से गॉव का लिंक कट जाता है। जिससे लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सबसे ज्यादा तकलीफ़ मरीजों को होती है। इलाज के अभाव में कई मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। इसके अलावा ग्रामीणों को आने-जाने में बहुत परेशानियों को सामना करना पड़ता है। ऐसे में ग्रामीण शासन से स्थाई पुल की मांग करते-करते थक गए, परंतु आज तक उनकी मांग किसी भी सरकार ने पूरा नहीं किया। आज लोगों को नई सरकार से उम्मीद है कि वे उनके मांग इस बरसात के पहले जरूर पूरा करेगी।
हर साल बरसात आने से पहले करना पड़ता है पुल का निर्माण
ग्रामीण जंगल से लकड़ी लाकर उससे देशी पुल का निर्माण करते है। यही नहीं पुल निर्माण में ग्रामीण चंदा जोड़कर श्रम दान के साथ-साथ आर्थिक सहयोग भी करते हैं। इस पुल के निर्माण में 50 हजार की खर्च होती है जो प्रति वर्ष बरसात के पहले एक साल के लिए ग्रामीण बनाते है। प्रतिवर्ष इस लकड़ी पुल की निर्माण कर 40 गॉव के लोग अपनी समस्या का समाधान स्वतेय ढूंढ लिया है। मगर सरकार अब तक इन ग्रामीणों की समस्या को नज़रअंदाज़ ही करती रही। इस बार की नई सरकार से ग्रामीणों को आस है। बरसात के पहले अपनी बहुप्रतिक्षित मांग पूरी होने की संभावना जताया जा रहा है।
अब देखना होगा कि कब इन नक्सल इलाके के संवेदनशील ग्रामों की समस्या दूर होगी। मौजूदा नई सरकार कब इन ग्रामीणों के लिए एक पुल निर्माण कर अपनी जिम्मेदारी पूरी करेगी।