Sep 15, 2023
रायगढ़। भारतीय जनता पार्टी की नेता प्रतिपक्ष पूनम सोलंकी के द्वारा 31 अगस्त को रायगढ़ कलेक्टर को निगम महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दिया था। जिसमें यह आरोप लगाया गया कि निगम की महापौर अमृत जानकी काटजू शहर के विकास को लेकर गंभीर नहीं है और शहर का विकास शून्य है। जिस पर कलेक्टर ने आज कलेक्ट्रेट सभा कक्ष में इस प्रस्ताव के लिए समय निर्धारित किया था। इस अविश्वास प्रस्ताव में कांग्रेस के एक भी पार्षद शामिल नहीं हुए और यह प्रस्ताव गिर गया।
भारतीय जनता पार्टी के पास संख्या बल न होने के बावजूद यह प्रस्ताव लाया था। निगम की महिला महापौर विकास कार्य कर रही है इसके खिलाफ अपने स्वार्थ के लिए यह अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। भारतीय जनता पार्टी अपने कुनबे को भी इकट्ठा नहीं कर पाई लगभग 18 पार्षद ही आज आए जबकि इनकी संख्या 21 है। बीजेपी के नेता कहते फिर रहे थे कि कांग्रेस के कुछ पार्षद असंतुष्ट हैं और हमारे साथ है। ऐसा कहकर शहर की जनता को गुमराह करना चाह रहे हैं। अनिल शुक्ला ने यहां तक कहा कि भारतीय जनता पार्टी के एक पार्षद ने रायगढ़ विधायक के साथ रायपुर जाकर, मुख्यमंत्री के सामने कांग्रेस प्रवेश किया है। भाजपा नेताओं को अपने गिरेबांन में में झांकना चाहिए, भारतीय जनता पार्टी टुकडे-टुकड़ों में बटी है। इन्हें रायगढ़ का विकास पसंद नहीं आ रहा है, अपनी संकुचित मानसिकता को लेकर अविश्वास प्रस्ताव लाए थे, आज यह अविश्वास प्रस्ताव गिर गया है। कांग्रेस पार्टी के सभी नेताओं ने विचार कर, आज इस अविश्वास प्रस्ताव में उपस्थित नहीं होने का निर्णय लिया गया था, जिसमें सभी ने अपनी सहमति जताई और आज उपस्थित नहीं हुए।
नगर पालिका निगम नेता प्रतिपक्ष पूनम सोलंकी ने कहा कि हमारा अविश्वास प्रस्ताव लाने का निर्णय शहर सरकार और शहर को एक नए आयाम तक पहुंचाने के लिए यह प्रस्ताव आया था, और शहर का विकास चाहते हैं। यह कांग्रेस की शहर सरकार विकास के नाम पर शून्य पर है। कुछ कांग्रेसी पार्षद भाइयों का भी साथ था। निश्चित रूप से आज उनकी अनुपस्थित यह दर्शाती है कि शहर विकास को लेकर वह गंभीर नहीं है। इसलिए उन्हें आज यहां उपस्थित होने से रोका गया है, जिन्हें दबाव बलपूर्वक रोका गया है। हमें तो उन कांग्रेसी भाइयों की चिंता है जो हमारे साथ होकर आज इस अविश्वास प्रस्ताव में वोटिंग करना चाहते थे। हमने विपक्ष में होते हुए अपनी जिम्मेदारी को निभाया है। शहर सरकार की नाकामी को लेकर यह प्रस्ताव लाया गया था। देखा जाए तो सफल ही माना जाएगा क्योंकि सभी बीजेपी के पार्षद यहां उपस्थित थे। कांग्रेस के एक भी पार्षद उपस्थित नहीं होने से यह दर्शाता है कि शहर सरकार डरी हुई है।