May 25, 2021
रश्क गौरी
एक तरफ, मध्य प्रदेश में कोरोना और ब्लैक फंगस के कहर की खबरें लगातार बनी हुई हैं, तो दूसरी तरफ बड़ी खबर यह है कि इन हालात में करीब 19,000 हेल्थकेयर वर्कर बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं। अगर राजधानी भोपाल की बात करें तो 4,500 से अधिक कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हुए हैं। ये स्वास्थ्यकर्मी अनुबंधित हैं, इस हड़ताल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारी शामिल हैं। हड़तालियों का दावा है कि महामारी के दौरान बने कठिन समय में इन्होंने परमानेंट या स्थायी कर्मचारियों से कम काम नहीं किया, फिर भी इनका वेतन बहुत कम होना इनके साथ अन्याय है। हड़ताली कर्मचारियों में डॉक्टर से लेकर पैरामेडिकल स्टाफ शामिल है।
वहीं स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल के चलते सरकारी अस्पतालों के तंत्र में सेवाओं के प्रभावित होने की बात कही जा रही है। ज़िले में 50 से ज़्यादा अस्थायी स्वास्थ्यकर्मियों ने लामबंद होकर हड़ताल कर दी और संविदा नियुक्ति की मांग की। अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए उज्जैन के इस पैरा मेडिकल स्टाफ ने आरोप लगाया कि दो महीने से उन्हें सैलरी तक नहीं मिली है, जिसके कारण उनके सामने परिवार को पालने का संकट खड़ा हो गया है। उज्जैन के चरक और माधव नगर अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा गईं।
हड़ताल पर प्रदेश के हज़ारों कर्मचारियों का कहना है कि अगर वैतन व अन्य समस्याओं से जुड़ी मांगें नहीं मानी गईं, तो उनकी हड़ताल लंबे वक्त तक जारी रहेगी।







