Aug 5, 2022
प्रदेश के निजी स्कूल में बच्चों ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत प्रवेश तो ले लिया, लेकिन स्कूल वाले अब इन बच्चों को पढ़ाने से इंकार कर रहे हैं। कोविड से पहले जिन बच्चों का प्रवेश हुआ है। उनमें से कुछ स्कूलों ने बच्चों को कक्षा में प्रवेश नहीं दे रहे हैं। अब ऐसे में राज्य शिक्षा केंद्र में कई जिलों से ऐसी समस्याएं पहुंच रही है। इसमें अब तक प्रदेश के 500 और राजधानी के 50 निजी स्कूलों के खिलाफ शिकायत पहुंची है।
ऐसे में राज्य शिक्षा केंद्र इन स्कूलों के खिलाफ पहले चरण में कारण बताओ नोटिस जारी कर बच्चों को पढ़ाने के निर्देश दिए है। इसके बाद भी कई स्कूल मनमानी कर रहे हैं और बच्चों को पढ़ाने से इंकार कर रहे हैं। अब राज्य शिक्षा केंद्र मान्यता समाप्ति के लिए नोटिस जारी करने की तैयारी में हैं। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि आरटीई के तहत प्रवेशित बच्चों का नाम पोर्टल पर नहीं दर्शा रहा है। इस कारण भी स्कूल वाले बच्चों को निकाल रहे हैं। बता दें, कि आरटीई के तहत प्रदेश के 26 हजार स्कूलों में आरटीई के तहत 25 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश दिए जाते हैं। इस बार 2,78,130 सीटों के लिए 2,01252 आवेदन आए थे। इनमें से पात्र विद्यार्थियों में से 1,73,725 आनलाइन लाटरी के माध्यम से 1,39,725 बच्चों को प्रवेश के लिए सीटें आवंटित की गई है।
फीस देने के बाद भी स्कूल वाले बच्चों को आगे पढ़ाना नहीं चाहते
आरटीई के तहत बच्चों को आठवीं कक्षा तक की निश्शुल्क शिक्षा दी जाती है। ऐसे में बच्चों के सामने बड़ी परेशानी है कि नौवीं में कुछ स्कूल प्रवेश नहीं दे रहे हैं। यहां तक की नौवीं कक्षा में फीस देने के बाद भी स्कूल वाले बच्चों को आगे पढ़ाना नहीं चाहते हैं। आठवीं के बाद बच्चे सरकारी स्कूलों में प्रवेश ले रहे हैं।
स्कुलों की मान्यता हो सकती है समाप्त
आरटीई के तहत प्रवेशित बच्चों को किसी भी हाल में शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता है। ऐसे प्रदेश के 500 स्कूलों की शिकायत मिली है। उनके खिलाफ नोटिस जारी किया गया है। अगर फिर भी नहीं इन बच्चों को लिया तो मान्यता समाप्त करने की कार्यवाही की जाएगी।