Jul 24, 2025
मध्य प्रदेश पुलिस प्रशिक्षण में रामचरितमानस का पाठ, भगवान राम से प्रेरणा
मध्य प्रदेश पुलिस ने अपने नए रंगरूटों के लिए प्रशिक्षण में रामचरितमानस का पाठ अनिवार्य कर दिया है। एडीजी (प्रशिक्षण) राजाबाबू सिंह के निर्देश पर, 4000 नए कांस्टेबल हर रात बैरक में सामूहिक रूप से रामचरितमानस की चौपाइयों का पाठ करेंगे। इसका उद्देश्य नैतिक मूल्यों, अनुशासन और कठिन परिस्थितियों में दृढ़ता की सीख देना है। यह पहल भगवान राम के 14 वर्षीय वनवास से प्रेरणा लेती है, जो जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाता है।
भगवान राम के वनवास से प्रेरणा
मध्य प्रदेश पुलिस के प्रशिक्षण केंद्रों में शुरू हुए नौ महीने के प्रशिक्षण कार्यक्रम में नए कांस्टेबलों को भगवान राम के 14 वर्षीय वनवास की कहानी से प्रेरणा दी जाएगी। एडीजी राजाबाबू सिंह ने बताया कि रामचरितमानस में वर्णित भगवान राम का जीवन जंगल में रहने की कला, अपरिचित वातावरण में ढलने की क्षमता, रणनीतिक योजना और शत्रु को परास्त करने की शिक्षा देता है। यह पाठ प्रशिक्षुओं को अनुशासन, धैर्य और प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता सिखाएगा।
नैतिक मूल्यों का विकास
रामचरितमानस को "बुद्धिमत्ता का खजाना" बताते हुए एडीजी सिंह ने कहा कि यह आदर्श और मूल्य आधारित जीवन जीने का मार्ग दिखाता है। हर रात सामूहिक पाठ से न केवल नैतिक मूल्यों की समझ बढ़ेगी, बल्कि प्रशिक्षु इन्हें अपने जीवन में आत्मसात भी करेंगे। यह कदम पुलिस बल में नैतिकता और कर्तव्यनिष्ठा को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है।
होमसिकनेस से निपटने की पहल
यह निर्णय तब लिया गया, जब करीब 300 प्रशिक्षुओं ने अपने घर के नजदीकी प्रशिक्षण केंद्रों में स्थानांतरण के लिए आवेदन किया। एडीजी सिंह ने इसे पुलिस के राज्य-स्तरीय चरित्र के लिए हानिकारक बताया। उन्होंने भगवान राम के वनवास का उदाहरण देते हुए कहा, "अगर भगवान राम 14 साल वन में रह सकते हैं, तो प्रशिक्षु 9 महीने की ट्रेनिंग के लिए क्यों नहीं?" यह पहल प्रशिक्षुओं को घर से दूर रहकर प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करेगी।