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इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: आपराधिक केस निलंबित होने तक नहीं रुकेंगे प्रमोशन, दो माह के अंदर आदेश पारित करने के निर्देश

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Aug 23, 2022

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आपराधिक केस निलंबित होने तक सरकारी पदाधिकारियों का प्रमोशन रोकने को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि आपराधिक केस लंबित होने के आधार पर सरकारी सेवक के प्रमोशन को रोका नहीं जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों का प्रमोशन, आपराधिक केस निलंबित होने तक अनिश्चित अवधि के लिए रोकना ठीक नहीं है। जस्टिस राजीव मिश्र की सिंगल बेंच ने ये फैसला लिया। कांस्टेबल नीरज कुमार पांडेय की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ये निर्णय किया। साथ ही कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों से दो माह के अंदर मामले में आदेश पारित करने का निर्देश दिया है। 

क्या है पूरा मामला?

डीजीपी मुख्यालय, उत्तर प्रदेश (लखनऊ) द्वारा 1 जनवरी 2021 को जारी हेड कांस्टेबल प्रमोशन लिस्ट में याचिकाकर्ता हेड कांस्टेबल नीरज कुमार पांडेय के प्रमोशन को सील कवर में रखा गया था। इसके खिलाफ नीरज कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर प्रमोशन पर लगी रोक को चुनौती दी थी। 

नीरज ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्रमोशन को सील कवर से खोलने की मांग की थी। मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याची के हक में फैसला सुनाते हुए कहा कि, सरकारी कर्मचारियों का प्रमोशन, आपराधिक केस निलंबित होने तक अनिश्चित अवधि के लिए रोकना गलत है। हाईकोर्ट ने पुलिस से दो माह के अंदर सील कवर कोलने की प्रक्रिया को लेकर आदेश पारित करने को कहा है।

बहस में रखे ये तर्क

एक आपराधिक केस के चलते याची नीरज कुमार पांडे को कार्यभार से बर्खास्त कर दिया गया था। हाईकोर्ट के आदेश पर उसे सेवा में बहाल कर दिया गया। वो निरंतर ड्यूटी पर है। इसको लेकर अधिवक्ता ने बहस करते हुए तर्क दिया कि, क्रिमिनल केस चलने के बाद भी याची को नौकरी जारी रखने की अनुमति दी गई, पर उसका प्रमोशन रोक दिया गया। जब कोर्ट बर्खास्तगी का आदेश खारिज कर बहाली का आदेश दे सकती है तो इसी आधार पर प्रमोशन देने से इनकार करना न्याय के विस्र्द्ध है।