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कश्मीर में राहुल का अब तक का सबसे बड़ा राजनीतिक निशाना! कांग्रेस में लौटेंगे असंतुष्ट नेता?

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Jan 25, 2023

7 सितंबर से शुरू हुई राहुल गांधी की 'ज्वाइन इंडिया' यात्रा ने अब तक राजनीतिक रूप से बहुत कुछ बचाया और जोड़ा है। लेकिन राहुल गांधी ने कश्मीर में जिस तरह गुलाम नबी आजाद से माफी मांगी उसे देखकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी है कि क्या राहुल गांधी का यह निशान सही है। हालाँकि, यह देखा जाना बाकी है कि क्या राहुल द्वारा गुलाम नबी आज़ाद से माफी माँगने के बाद आज़ाद और कांग्रेस के बीच की खाई कम हो जाएगी। लेकिन ऐसा कर राहुल गांधी ने उन सभी नाराज नेताओं को एक नरम संदेश दिया है जो किसी न किसी बहाने राहुल गांधी पर निशाना साधते थे। फिलहाल राजनीतिक जानकार राहुल गांधी की माफी को सटीक राजनीतिक निशाना मान रहे हैं।

आजाद की माफी राजनीतिक गलियारों में एक बड़ा संदेश 

राहुल गांधी की ज्वाइन भारत यात्रा जब कश्मीर पहुंची तो ज्यादातर चर्चा यही थी कि क्या गुलाब नबी आजाद भी राहुल गांधी की यात्रा में शामिल होंगे या नहीं। हालांकि गुलाम नबी आजाद कश्मीर में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से सीधे तौर पर नहीं जुड़े थे, लेकिन कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उनकी पार्टी से जुड़े तमाम नेता उनके मंच पर कश्मीर पहुंचे थे। गुलाम नबी आजाद का नाम और चेहरा कश्मीर में काफी अहम हो जाता है। ऐसे में गुलाम नबी आजाद से राहुल गांधी की माफी राजनीतिक गलियारों में एक बड़ा संदेश भी देती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि राहुल गांधी की गुलाम नबी आजाद से माफी का जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक बड़ा असर पड़ सकता है। राजनीतिक विश्लेषक जटाशंकर सिंह का कहना है कि राहुल गांधी की माफी राजनीति की सही निशानी है, जो न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि उन तमाम नेताओं के लिए भी एक बड़ा संदेश है, जो समय-समय पर राहुल गांधी पर निशाना साधते रहे हैं।

पार्टी पर नरम

दरअसल, गुलाम नबी आजाद से माफी मांगकर राहुल गांधी ने साफ कर दिया है कि वह उन सभी कांग्रेस नेताओं के प्रति नरमी बरत रहे हैं, जिन्होंने उन्हें भला बुरा कहकर पार्टी छोड़ दी थी। जब गुलाम नबी आज़ाद ने भी कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया, तो उन्होंने राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाया और अन्य आंतरिक राजनीति का हवाला दिया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि गुलाम नबी आजाद से राहुल गांधी की माफी से स्पष्ट संदेश जाता है कि कांग्रेस के बंद दरवाजे उन नेताओं के लिए भी खोले जा सकते हैं जिन्होंने उन्हें बुरा-भला कहा और पार्टी छोड़ दी। हालांकि ऐसा सभी नेताओं के साथ होगा, यह कहना मुश्किल है। लेकिन राहुल गांधी के इस तेवर को राजनीतिक गलियारों में काफी सकारात्मक देखा जा रहा है। उधर, गुलाम नबी आजाद के माफी मांगने के बाद अब कांग्रेस में चर्चा है कि क्या इस पूरे घटनाक्रम के बाद पार्टी पर तमाम तरह के आरोप लगाने वाले सभी नेताओं के लिए दरवाजे खुलेंगे? सवाल यह भी है कि क्या गुलाम नबी आजाद राहुल गांधी से माफी मांगने के बाद उनकी पार्टी में शामिल होंगे या उनके बीच जमी बर्फ पिघल जाएगी।

इन तमाम सवालों के जवाब में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और पार्टी के पदाधिकारियों का कहना है कि कांग्रेस इतनी बड़ी पार्टी है और हर कोई लोकतांत्रिक तरीके से मंच पर अपनी बात रखता है। उनका कहना है कि स्वाभाविक है कि कुछ लोग इससे नाराज भी हैं और तरह-तरह के आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ चुके हैं। उनका कहना है कि अगर उनके नेता माफी भी मांग लें तो यह संदेश देने के लिए काफी है कि आने वाले दिनों में बहुत कुछ बदल सकता है। उनका कहना है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का मकसद सभी को एकजुट कर आगे बढ़ना है। ऐसे में उनकी पार्टी उन सभी का स्वागत करती है जो उनकी विचारधारा से सहमत हैं।

भारत जोडो का सफर आखिरी पड़ाव की ओर

दरअसल, कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक तमाम राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को छूती राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुकी है। दूसरे शब्दों में, कांग्रेस दावा कर रही है कि भारत जोड़ो यात्रा एक गैर-राजनीतिक यात्रा है और इसे देश के लोगों से संबंधित सामाजिक मुद्दों को उठाने और समझने के लिए एक आंदोलन के रूप में चलाया गया था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि कांग्रेस के तमाम दावों और वादों के बावजूद यह यात्रा राजनीतिक रूप से पार्टी को ऑक्सीजन देने का काम कर रही है। राजनीतिक विशेषज्ञ जटाशंकर सिंह का कहना है कि राहुल गांधी ने अपने पूरे दौरे में जिस तरह से राजनीतिक निशाने साधे हैं, वह सामाजिक मुद्दों के साथ-साथ अपनी पार्टी को नया जीवन देने का काम कर रहे हैं। उनका मानना ​​है कि गुलाम नबी आजाद से माफी मांगकर राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर में आजाद के समर्थकों को यह संदेश दिया है कि वे अनजाने में अपने नेता को चोट पहुंचाने के लिए माफी मांगते हैं। सिंह का कहना है कि ऐसा करके राहुल गांधी ने राजनीति में विनम्र रहने का बड़ा संदेश दिया है। आने वाले दिनों में इसका फायदा कांग्रेस पार्टी को भी होने की संभावना है।