May 3, 2025
"अरुणाचल में पेड़ कटे, मध्यप्रदेश में लगेंगे – नदियों के किनारे फिर होगा हरियाली का बसेरा"
अरुणाचल के प्रोजेक्ट से उजड़ रहे जंगल, मप्र करेगा हरियाली की भरपाई
अरुणाचल प्रदेश में हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के चलते बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई की जा रही है। इसकी भरपाई के लिए मध्य प्रदेश को चुना गया है, जहां करीब 23 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में घने जंगल विकसित किए जाएंगे। इस काम के लिए 1840 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया है।
मप्र में 2100 किमी दूर बसेंगे हरे-भरे जंगल
अरुणाचल के पास वन विकास के लिए जमीन नहीं है, इसलिए मप्र से मदद मांगी गई है। मध्य प्रदेश में नर्मदा, क्षिप्रा, चंबल, बेतवा जैसी नदियों के किनारों पर कम घनत्व वाली भूमि पर पौधारोपण होगा।
किनारे होंगें हरे-भरे, नदियों को मिलेगा जीवन
वन विभाग के एसीएस अशोक बर्णवाल के अनुसार, “मप्र सरकार नदियों के दोनों किनारों को हरा-भरा करने की योजना पर काम कर रही है। यह सिर्फ पर्यावरण की नहीं, जल संरक्षण की दिशा में भी बड़ा कदम है।”
1840 करोड़ रुपए मिलेंगे वन विकास के लिए
अरुणाचल सरकार ने इसके लिए मप्र के कैम्पा फंड में राशि जमा कर दी है। एक हेक्टेयर में जंगल बसाने का खर्च करीब 8 लाख रुपए आता है, ऐसे में 23 हजार हेक्टेयर के लिए कुल राशि 1840 करोड़ रुपए निर्धारित की गई है।
मप्र का ही रहेगा जंगलों पर अधिकार
इन विकसित किए गए जंगलों पर पूरा नियंत्रण मप्र सरकार का होगा। यह न सिर्फ हरियाली बढ़ाएगा बल्कि राज्य के पारिस्थितिक संतुलन को भी सुदृढ़ करेगा।
पहले भी अंडमान निकोबार कर चुका है मप्र में पौधरोपण
इससे पहले अंडमान निकोबार द्वीप समूह भी मप्र में वन विकास के लिए सहयोग कर चुका है। देवास, रायसेन और कटनी में 1405 हेक्टेयर भूमि पर पौधारोपण किया गया था।