Feb 29, 2024
चंडीगढ़, 28 फरवरी: हरियाणा को पहली बार राज्य गीत मिल गया है। विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता की ओर से गठित राज्य गीत चयन समिति की रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत करने के बाद बुधवार को यह सदन में सुनाया गया। दो गायकों द्वारा दी गई प्रस्तुतियों को सदन में रखा गया।
गौरतलब है कि विधान सभा के शीतकालीन सत्र 2023 के दौरान 15 दिसंबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल की ओर से सदन में 3 गीतों के प्रारूप पेश किए गए थे। इन तीनों गीतों पर व्यापक चर्चा के बाद सदन में गीत के चयन के लिए कमेटी बनाने पर सहमति बनी थी। विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने विधायक लक्ष्मण सिंह यादव की अध्यक्षता में यह कमेटी गठित की। विधायक बिशम्बर सिंह इस समिति में उप-सभापति तथा विधायक गीता भुक्कल, जोगी राम सिहाग और नीरज शर्मा को बतौर सदस्य शामिल किया गया।
कमेटी ने 2 माह में 5 बैठकें कर ‘जय जय जय हरियाणा …..पावन धरती वेदों की, जहां हुआ हरि का आणा।’ गीत का चयन किया। पानीपत निवासी डॉ. बालकृष्ण शर्मा द्वारा लिखे गए इस गीत में कमेटी ने व्यापक संशोधन किए हैं। कमेटी ने सदन में माननीय सदस्यों द्वारा दिए गए सुझावों पर भी गहन विचार-विमर्श किया।
समिति के सभापति लक्ष्मण सिंह यादव ने कहा कि समिति ने गीत की विषय वस्तु को हरियाणा के गौरवशाली इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, भौगोलिक संरचना और प्रदेश की विकास यात्रा के संदर्भ में परखने का प्रयास किया। इसके लिए उन्होंने सभी सदस्यों व मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक मनदीप सिंह बराड़, अतिरिक्त निदेशक विवेक कालिया, हरियाणा विधान सभा के मीडिया एवं संचार अधिकारी दिनेश कुमार, कला एवं सांस्कृतिक अधिकारी डॉ. दीपिका रानी के प्रयासों की सराहना की है। उन्होंने कहा कि इन सदस्यों और अधिकारियों ने गीत के भाव और भाषा सौंदर्य को लेकर बहुमूल्य सुझाव दिए हैं। इस दौरान गीत से बनने वाले सुखद वातावरण व प्रदेश तथा प्रदेश से बाहर इसकी उपयोगिता का आंकलन किया गया। समिति ने इस बात का विशेष ख्याल रखा है कि गीत हरियाणवी बोली के गायकों के लिए भी सहज रहे, वहीं यह गीत राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी प्रभावी हो।
गीत में हरियाणा के इतिहास को संजोये वैदिक काल की भाषा संस्कृत, हिन्दी और वर्तमान बोली हरियाणवी के शब्दों का संतुलित, तर्कसंगत व समन्वयपूर्ण प्रयोग किया गया है। संस्कृत भाषा में यहां के आतिथ्य और सेवा भाव जैसी विशेषताओं को लिपिबद्ध किया गया है।
समिति ने राज्यगीत में प्रदेश की उत्सवधर्मी संस्कृति और हरियाणवियों की सादगी जैसी मूल विशेषताओं को इंगित करने का प्रयास किया है। इसमें प्रदेशवासियों के आपसी भाईचारे, शिक्षा और व्यापार का भी विशेष वर्णन किया गया है। गीत में जहां हरियाणवी लोक जीवन को काव्यबद्ध किया गया, वहीं इसमें प्रदेश का गौरव बढ़ाते किसानों, वीर-सैनिकों और खिलाड़ियों के योगदान को विशेष रूप से रेखांकित किया गया है।
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह गीत जहां प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को सम्बल प्रदान करेगा वहीं, यह प्रदेश के कण-कण में व्याप्त राष्ट्र गौरव के भाव को भी पुष्ट करेगा।
