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महिला के पेट में था चार महीने का गर्भ, डॉक्टरों ने कर दी नसबंदी

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Mar 7, 2018

नीमच जिला अस्पताल में नसबंदी के आंकड़ों को बढ़ाने के चक्कर में एक गर्भवती महिला की ही नसबंदी कर दी गई। इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब महिला के पेट में दर्द होना शुरू हुआ, इसके बाद महिला की सोनोग्राफी कराई गई। सोनोग्राफी रिपोर्ट में महिला के पेट में १5 हफ्ते (लगभग ४ महीने) का गर्भ बताया गया। जबकि महिला की २ माह पहले दिसम्बर को लगाए गए नसबंदी शिविर में नसबंदी की गई थी। जब महिला की अधिक तबीयत बिगडी तो महिला का आॅपरेशन कर दिया गया।

पीड़ित महिला के पति पवन पंवार ने बताया की दिसम्बर माह के अंतिम सप्ताह में नसबंदी शिविर में नसबंदी कराई थी। इसके बाद सब कुछ सामान्य रहा, लेकिन कुछ दिन पहले पेट में दर्द रहने लगा, आज पत्नी के पेट में अधिक दर्द हुआ तो सोनोग्राफी करवाई जहां सोनोग्राफी के बाद उसे बताया गया कि महिर्ल ४ माह का भूण गर्भ से है।

अस्पताल में सप्ताह में एक बार रतलाम के डॉक्टर आकर नसबंदी करते हैं वहीं स्वास्थ्य विभाग ने लाखों रूपए खर्च कर नीमच के दो डॉक्टरों को इसकी ट्रेनिंग भी दी उसके बाद सप्ताह में एक बार ही नसबंदी होने के कारण एक साथ कई महिलाओं की नसबंदी होती है हडबडाहट में डॉक्टर इस तरह की लापरवही बरतते है।

नसबंदी से पहले की जाती है गर्भ की जांच
नियम के मुताबिक किसी भी महिला की नसबंदी से पहले जांच की जाती है कि उसे गर्भ है या नहीं। इसके लिए महिला का यूरिन टेस्ट भी कराया जाता है। जानकारों की मानें, तो कई बार डॉक्टर रिकार्ड बनाने एक साथ कई ऑपरेशन करते हैं। ऐसे में आशंका है कि महिला का यूरिन टेस्ट ही न किया गया हो, उसकी बिना जांच के ही नसबंदी कर दी गई हो। क्योंकि यूरिन टेस्ट कराया जाता, तो रिपोर्ट में गर्भ की जानकारी आ जाती या फिर यूरिन टेस्ट के दौरान कर्मचारियों से कोई गलती हो सकती है। 

इस तरह स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। क्योंकि, नसबंदी से पहले महिला के गर्भ की जांच करने यूरिन टेस्ट कराया जाता है। अब सवाल उठता है कि यूरिन टेस्ट कराया गया, तो गर्भ के बाद महिला की नसबंदी क्यों की गई। यदि यूरिन टेस्ट रिपोर्ट गलत थी, तो अस्पताल की जांच भी सवालों के घेरे में आती है।