Mar 6, 2019
पुष्पेन्द्र विश्वकर्मा- अनुसूचित जनजाति एवं गरीब तबके के बच्चों को पढ़ने और रहने के लिए सरकार तमाम तरह की नई नई योजनाएं चला रही कि बच्चे पढ़ें और देश को आगे बढ़ाए। इसी कड़ी में सरकार द्वारा गरीब बच्चों के लिए भी व्यवस्था कराई गई। जो घर से कमजोर हैं और उनके बच्चे पढ़ने में रुचि रखते हैं, उनके लिए छात्रावास खोला गया। जिसमें वह बच्चे छात्रावास में रहकर अच्छी पढ़ाई कर सकें और उनके तमाम प्रकार की सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार लाखों रुपए भी खर्च कर रही है। मगर अमानगंज तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत सुनवानी में जिनके भरोसे यह योजना चल रही है, वो प्रशासनिक अधिकारी इस राशि को निकालकर उनका बन्दर बांट कर रहे हैं।
छात्रावास अधीक्षक हमेशा रहते नदारद, जिम्मेदार अधिकारी उदासीन
ऐसे ही मामला अमानगंज तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत सुनवानी में देखने को मिला। जहां सरकार ने बच्चों की पढ़ाई के लिए छात्रावास की व्यवस्था की है, जिसमें आसपास के गरीब एवं मजदूरों के बच्चों को रखा गया है। मगर यह देख कर आश्चर्य होता है कि बच्चों की पढ़ाई की जगह, उनकी जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जब मीडिया की टीम सुनवानी छात्रावास पहुंची तो यह पाया कि सिर्फ चपरासी के भरोसे यह छात्रावास चल रहा था। वहां ना तो छात्रावास अधीक्षक हैं और ना ही छात्रों के लिए समुचित व्यवस्थाएं।
बच्चों ने किया अपना पूरा दर्द बयां
बच्चों ने कैमरे के सामने अपना पूरा दर्द बयां कर दिया। बच्चों का कहना है कि हमारे विद्यालय में बिजली का सही कनेक्शन तक नहीं है। जो बिजली के बोर्ड लगे हैं, उनको चालू करने में करंट के झटके लग जाते हैं। जिससे हम लोग उनसे डरे हुए हैं। छात्रों ने बताया कि कड़ाके की ठंड में हम लोगों को फटे चादर बिना धुले दिए जाते हैं। जिससे हम लोग रात भर ठीक से सो नहीं पाते। यहां तक कि शौचालय की सफाई नियमित सफाई भी नहीं की जा रही है जिससे हम लोगों को शौच के लिए बाहर जाना पड़ रहा है।
वहीँ इस विषय में तहसीलदार महोदया से बात की गई तो उन्होंने कहा, यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं था। अब आपके द्वारा या मामला मेरे संज्ञान में आया है जिस पर प्रतिवेदन बनाकर कार्यवाही करूँगी।