Jan 7, 2023
तुलसी की बढ़ती मांग व महत्ता को सूबे के वन विभाग ने भी भांप लिया है। जल्द ही भोपाल में दुनियाभर की तुलसी का वन नजर आ सकता है। यह ऐसा पार्क होगा जहां बॉटनी के छात्र अपनी रिसर्च भी कर सकेंगे। विभाग की सामाजिक वानिकी शाखा ने कुछ नर्सरियों में तुलसी वन लगाने का निर्णय ले लिया है।
यहां पर आमतौर पर मिलने वाली तुलसी के अलावा विमला, सौंफ, अफीकन, अमेरिकन सहित 67 प्रजाति की तुलसी लगाई जाएंगी। यह भोपाल में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चलेगा तथा अहमदपुर नर्सरी में तुलसी वन बनाया जाएगा। उसके बाद स्टेट तुलसी वन बनेगा व राम और श्याम तुलसी के अलावा यहां देशभर में मिलने वाली तुलसी की प्रजाति को लगाया जाएगा।
जानकार सूत्रों का कहना है कि वन विभाग के अनुसंधान और विस्तार विभाग में कई तरह के प्रोजेक्ट शुरू हो रहे हैं। उसमें तुलसी वन भी है। इस प्रोजेक्ट के तहत ही देश और विदेश में पाई जाने वाली तुलसी भोपाल में लगाई जाएगी। विंध्य हर्बल बरखेड़ा पठानी के क्वालिटी कंट्रोल वैद्य संजय का कहना है कि तुलसी का वैज्ञानिक नाम ओसीमम सेक्टम है।
देश के अलग-अलग राज्यों में 67 प्रजाति की तुलसी पाई जाती है, जो अलग अलग मौसम में अलग असर दिखाती है। खास बात यह है कि भोपाल के तुलसी वन में बॉटनी के स्टूडेंट तुलसी पर रिसर्च भी कर सकेंगे। इसके लिये जरूरी स्ट्रक्चर तैयार होगा। उल्लेखनीय है कि तुलसी पर पहली रिसर्च पटना विश्वविद्यालय में हुई थी।
यहां के बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने इंसान के जीन से 70व तक मेल खाने वाले जीव सी- इलेगेंस पर पीयू में रिसर्च किया। इस वर्म की उम्र 15 दिन होती है, लेकिन रिसर्च के दौरान जब इस पर तुलसी का प्रयोग किया गया तो इसकी उम्र बढ़कर 23 दिन हो गई। फिर तुलसी पर दूसरी रिसर्च उत्तरप्रदेश के मेरठ स्थित चौधरी चरण सिंह विवि में हुई। इस रिसर्च में तुलसी के रासायनिक संगठन के बारे में पता लाया गया। यहां राम तुलसी, वन तुलसी, फ्रीकन तुलसी, अमेरिकन तुलसी जैसी कई प्रजातियों पर रिसर्च हुई है।