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'आजकल हर कोई दिखाना चाहता है कि उसका धर्म/भगवान सर्वोच्च है...' बॉम्बे हाई कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?

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Jul 25, 2024

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को एक व्हाट्सएप ग्रुप में धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में दो लोगों के खिलाफ दायर मामले को खारिज कर दिया और कहा कि लोग इन दिनों धर्म को लेकर संवेदनशील हो गए हैं.  उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने कहा कि चूंकि व्हाट्सएप संदेश एन्क्रिप्टेड हैं और इन्हें किसी तीसरे पक्ष द्वारा एक्सेस नहीं किया जा सकता है, इसलिए यह देखना होगा कि क्या यह भारतीय दंड संहिता के तहत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के बराबर हो सकता है.

पीठ ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश है, जहां हर किसी को दूसरे के धर्म और जाति का सम्मान करना चाहिए लेकिन साथ ही लोगों को किसी भी तरह की जल्दबाजी वाली प्रतिक्रिया से बचना चाहिए.  न्यायमूर्ति विभा कंकनवाड़ी और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी की पीठ ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, शांति भंग करने के इरादे और धमकी देने के आरोप में एक सैन्य अधिकारी और एक डॉक्टर के खिलाफ 2017 में दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया. 

शिकायतकर्ता शाहबाज सिद्दीकी ने सेना के जवान प्रमोद शेंद्रे और डॉक्टर सुभाष वाघे पर एक व्हाट्सएप ग्रुप में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक संदेश पोस्ट करने का आरोप लगाया.  शिकायतकर्ता भी उस ग्रुप का हिस्सा था. सिद्दीकी ने शिकायत की कि आरोपियों ने पैगंबर मुहम्मद के बारे में सवाल उठाए और कहा कि उन्होंने वंदे मातरम नहीं बोला. उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए. हाई कोर्ट ने कहा, 'हम यह देखने के लिए बाध्य हैं कि आजकल लोग अपने धर्मों को लेकर पहले से अधिक संवेदनशील हो गए हैं और हर कोई यह बताना चाहता है कि उनका धर्म/भगवान कैसे सर्वोच्च है.'

Report By:
Devashish Upadhyay.