Oct 7, 2024
"या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
“नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।"
हे मां! सर्वत्र विराजमान और स्कंदमाता के रूप में प्रसिध्द अम्बे मां आपको मेरा शत-शत प्रणाम हैं.
नवरात्रि के नों दिन माता के अलग अलग रूपों को समर्पित है. नवरात्रि के पाँचवे दिन स्कंदमाता की आराधना की जाती है. मोक्ष के द्वार खोलने वाली स्कंदमाता परम सुखदायी हैं. माँ अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पुरा करती हैं. माता कमल पर विराजीत हैं देवी की चार भुजाएं हैं दायीं तरफ की ऊपर वाले हाथ से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं.
स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं, इसलिए इनके चारों ओर सूर्य के प्रकाश जैसा अलौकिक तेज दिखाई देता है.
माता का प्रिय रंग: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्कंदमाता को नीला रंग पसंद है.
देवी स्कंदमाता की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय के हाथों तारकासुर का अंत होना था. ऐसे में मां पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद यानी कार्तिकेय को युद्ध के लिए तैयार करने के लिए स्कंदमाता का रूप धारण किया. स्कंदमाता से युद्ध की शिक्षा लेने के बाद कार्तिकेय ने राक्षस का अंत किया.
मध्य प्रदेश में है स्कंदमाता का मंदिर
स्कंदमाता का यह मंदिर मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित है. यह मंदिर 18वीं शताब्दी में बन कर तैयार हुआ था. यह मंदिर अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है.