Mar 12, 2023
उत्तर प्रदेश में बेसिक स्कूलों में तैनात शिक्षकों की राह आसान नहीं दिख रही है। बीएसए को शासन की ओर से वरिष्ठता सूची जारी कर इस पर आपत्तियों का निराकरण करना है। हालांकि निलंबित शिक्षकों का कहना है कि उन्हें समायोजित नहीं किया गया है। जबकि उनके मामले का निर्धारित समय सीमा के भीतर निस्तारण किया जाना चाहिए था।
शिक्षकों का कहना है कि उन्हें मामूली बातों पर निलंबित कर दिया गया था। निर्धारित समय में न तो उनके प्रकरण का निस्तारण किया गया और न ही वरिष्ठता सूची में उनका नाम आ रहा है। साथ ही वे बीएसए कार्यालय के चक्कर काट कर थक चुके हैं। सरकार जल्द से जल्द हमारे मामले का निस्तारण करे ताकि हम भी निर्धारित सुविधाओं का लाभ उठा सकें।
उधर, बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने फरवरी में भेजे गए पत्र का हवाला देते हुए फिर से सभी बीएसए को पत्र भेजा है। जिसमें उन्होंने निलंबित एवं बहाल शिक्षकों की जानकारी निर्धारित प्रारूप में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. वहीं, उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि बीएसए द्वारा शिक्षकों को बेवजह परेशान किया जा रहा है. अधिकारी और बाबू उनका आर्थिक शोषण भी कर रहे हैं। तीन माह से अधिक समय से निलंबित शिक्षकों की बहाली नहीं करने पर सरकार को बीएसए के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि शिक्षकों का मानसिक व आर्थिक उत्पीड़न बंद हो सके।
कई जिले सूचीबद्ध नहीं हैं
सरकार ने छह मार्च को शिक्षकों की अनंतिम वरिष्ठता सूची घोषित करने का दावा किया था। हालांकि, उस दिन भी कुछ जिलों की सूची एनआईसी के पोर्टल पर काफी देर से अपलोड की गई थी। इसके बाद से शिक्षक काफी परेशान हैं। एटा, हापुड़, गोंडा आदि जिलों में बीएसए ने 10 मार्च को बताया कि वरिष्ठता सूची अपलोड कर दी गयी है. इस पर 20 मार्च तक आपत्ति की जा सकती है। वहीं महोबा, सुल्तानपुर, कुशीनगर, कानपुर नगर में अभी भी वरिष्ठता सूची नहीं दिख रही है।