Oct 13, 2016
भारत में 12 ज्योर्तिलिंग है। इसमें मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर का भी विशेष महत्व है। देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व से यहां श्रद्धालु दर्शन लाभ लेने आते है। लेकिन पिछले कुछ समय से महाकाल मंदिर के कई ऐसे मामला सामने आए है। जिससे मंदिर की छवि धुमिल हुई है। कभी आरती के दौरान पंडे-पूजारियों में मारपीट हो जाती है, कभी दान के रूपए गिनते हुए प्रभारी के रूपए चोरी करने वाला मामला सामने आता है, तो कभी अपर कलेक्टर और पुलिसकर्मी आपस में भीड़ जाते है। बावजूद इसके मंदिर प्रशासन सिर्फ निलंबन और एफआईआर की कार्रवाई कर इतिश्री कर लेता है। जबकि मध्यप्रदेश सरकार उज्जैन को एक धार्मिक और पर्यटन नगरी बनाने का सपना संजोए बैठी है। ऐसे में क्या अब महाकाल मंदिर में बड़े बदलाव की जरूरत है?
करोड़ रूपए लगाए, लेकिन व्यवस्थाएं व्यवस्थित नहीं : मध्यप्रदेश की सरकार ने महाकाल मंदिर में कभी विकास में कमी नहीं आने दीं। जब भी प्रशासन ने सरकार से कुछ मांगा जनप्रतिनिधियों ने जरिए सरकार ने तत्काल हां कर दीं। चाहे महाकाल मंदिर में टनल बनाने की बात हो या फिर कुछ भी निर्माण कार्य। हर काम करने के लिए सरकार हमेशा तत्पर रही। लेकिन व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से चलाने में प्रशासन हमेशा फेल ही नजर आया। महाशिवरात्रि हो या फिर श्रावण हमेशा श्रद्धालुओं को परेशानी उठाना पढ़ती है। जबकि भक्त को भगवान से दूर रखना प्रशासन की बड़ी गलती है। प्रशासन को इस तरह की व्यवस्था को व्यवस्थित तरीके से चलाने के लिए को मास्टर प्लान बनाने की आवश्यकता है। आधुनिक आईडी कार्ड बनाए जाए : महाकाल मंदिर में न तो कर्मचारियों के कार्ड है और न ही दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के। सिर्फ बायोमेट्रिक मशीन के जरिए ही अटैंडेस लगती है। जबकि भारत के बड़े शहरों में आधुनिक आईडी कार्ड का उपयोग किया जाता है। जिसको स्केन करने पर अटैंडस भी लग जाती है। लेकिन इस तरह की तकनीक का उपयोग महाकाल मंदिर में नहीं किया जाता है।
शिर्डी की तर्ज पर क्यों नही बनाया जाता अन्न क्षैत्र : महाकाल मंदिर में अन्नक्षैत्र संचालित किया जाता है। जो कि पूर्णत: रूप से नि:शुल्क है। लेकिन बहुत कम ही श्रद्धालु इसके बारे में जानते है और जो श्रद्धालु जानते है उन्हें नि:शुल्क टिकट लेने में परेशानी होती है। ऐसे में प्रशासन को शिर्डी की तर्ज पर अन्नक्षैत्र चलाना चाहिए। शिर्डी में 40 रूपए थाली लेकर भोजन उपलब्ध करवाया जाता है। ऐसे में हर श्रद्धालु इसका लाभ ले सकता है और अन्नक्षैत्र के मेंटेनेंस में कोई प्राब्लम नहीं आती है। साथ ही लोगों को रोजगार भी मिलता है।








