Mar 14, 2023
पहले सिलिकॉन वैली हुआ दिवालिया, अब सिग्नेचर बैंक पर भी लटका ताला
इन दिनों अमेरिका के बैंक एक के बाद एक औंधे मुंह गिर रहे हैं। पहले अमेरिका के कैलिफोर्निया में स्थित सिलिकॉन वैली बैंक दिवालिया हुआ। इसके बाद न्यूयॉर्क के सिग्नेचर बैंक पर भी ताला लग गया। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि एक के बाद एक अमेरिकी बैंकों पर ताला लगता जा रहा है। क्यों अमेरिका के बैंक डूब रहे हैं? वहीं सबसे बडी फिक्र इस बात की है कि क्या इसका भारत पर क्या असर देखने को मिल सकता है? माना जा रहा है कि बीते तीन दिनों में दो प्रमुख अमेरिकी बैंक डूब गए हैं। इस वजह से अब अमेरिका के बैंकिंग सेक्टर में बड़ा असर देखने को मिल सकता है। दो प्रमुख बैंकों पर ताला लटकने से रेकॉर्ड महंगाई बढती दरें और बैलेंस शीट पर इसका असर पड सकता है। फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉर्प के प्रमुख मार्टिन ग्रुएनबर्ग ने पिछले सोमवार को अमेरिका के फाइनेंशियल सेक्टर में छिपे हुए 620 बिलियन के जोखिम के बारे में चेतावनी दी थी। ग्रुएनबर्ग के मुताबिक, बैंकों की बैलेंस शीट कम ब्याज वाले बॉन्ड्स से भरी हुई थी। यह उस जोखिम को बढ़ाता है जो एक बैंक विफल हो सकता है।
इधर, पांच महीने के निचले स्तर पर इंडेक्स
इधर अमेरिका के दो बैंकों पर ताला लटकने से घरेलू बाजार पर भी असर देखने को मिल रहा है। कल दोनों प्रमुख इंडेक्स लगातार तीसरे दिन गिरावट के साथ बंद हुए थे। सेंसेक्स 897.28 अंकों की गिरावट के साथ पांच महीने के निचले स्तर 58, 237.85 अंकों पर बंद हुआ था। सेंसेक्स के तीस शेयरों में 29 नुकसान में रहे थे। इसके शेयरों में सबसे ज्यादा इंडसइंड बैंक का शेयर सात फीसदी से ज्यादा टूटा था। इसी के साथ निफ्टी भी लुढककर पांच महीने के निचले स्तर पर बंद हुआ था। निफ्टी के 50 में से 45 शेयर नुकसान में रहे थे। पिछले तीन कारोबारी सत्रों में निवेशक करीब 7.3 लाख करोड रुाये से ज्यादा गंवा चुके हैं। सेंसेक्स 2110 अंक फिसल चुका है।
ग्लोबल बाजार आई भारी गिरावट
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, दो प्रमुख अमेरिकी बैंकों के डूबने से ग्लोबाल बाजार में भारी गिरावट आई है। इसमें विशेष रूप से अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की अगली बैठक में किए गए फैसले का बाजार में बिकवाली पर अहम असर पड़ेगा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को यह कहते हुए रिपोर्ट किया गया था कि इसका प्रभाव भारत में सीमित होगा। देश में केवल कुछ तकनीकी स्टार्टअप और आईटी फर्मों को ही ये प्रभावित करेगा।