Oct 16, 2025
ग्वालियर में बच्चों के सिरप में कीड़े, छिंदवाड़ा के बाद फिर लापरवाही का मामला
विनोद शर्मा ग्वालियर: मध्य प्रदेश में एक बार फिर दवाओं की गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। छिंदवाड़ा में जहरीली दवा कांड का मुद्दा अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि ग्वालियर के मुरार जिला अस्पताल से चौंकाने वाली खबर सामने आई है। यहां एक महिला को अपने बच्चे के लिए दी गई अजिथ्रोमाइसिन सिरप की बोतल में कीड़े जैसी चीजें दिखाई दीं। इस घटना ने न केवल अस्पताल प्रशासन को हिलाकर रख दिया, बल्कि लोगों के बीच दवाओं की गुणवत्ता को लेकर डर पैदा कर दिया है। महिला की शिकायत के बाद अस्पताल और ड्रग विभाग ने तुरंत कार्रवाई शुरू की, और सिरप की जांच के लिए सैंपल कोलकाता की लैब में भेजे गए हैं। इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।
मामले का विवरण
ग्वालियर के मुरार जिला अस्पताल में दो दिन पहले एक महिला अपने बच्चे को पीडियाट्रिक विभाग में दिखाने गई थी। डॉक्टर ने बच्चे के बैक्टीरियल इंफेक्शन के लिए अजिथ्रोमाइसिन सिरप दिया। घर पहुंचकर जब महिला ने सिरप बच्चे को पिलाया, तो अगले दिन बोतल में कीड़े जैसी चीजें रेंगती दिखीं। महिला ने तुरंत अस्पताल में शिकायत की। अस्पताल प्रशासन ने सिरप के वितरण पर रोक लगा दी। जानकारी के अनुसार, यह सिरप भोपाल से सप्लाई किया गया था, और अस्पताल के स्टोर में 316 बोतलें मौजूद थीं। ड्रग विभाग की टीम ने 10 बोतलों की जांच की, जिसमें कीड़े नहीं मिले। फिर भी, सतर्कता के लिए 10 सैंपल कोलकाता लैब भेजे गए। ड्रग विभाग के अनुसार, सिरप की एक्सपायरी 2027 तक है, फिर भी उत्पादन या पैकिंग में गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है।
सिरप का उपयोग और जनता की चिंता
अजिथ्रोमाइसिन सिरप बच्चों में सर्दी-जुकाम, गले के इंफेक्शन और बुखार जैसी बीमारियों के लिए दी जाती है। यह एक सामान्य एंटीबायोटिक है, जिसका व्यापक उपयोग होता है। इस घटना के बाद माता-पिता में दवाओं की गुणवत्ता को लेकर डर है। लोग अब सरकारी अस्पतालों की दवाओं पर भरोसा करने से हिचक रहे हैं। ड्रग विभाग ने जांच पूरी होने तक सिरप के वितरण पर रोक लगा दी है, और जल्द ही जांच रिपोर्ट से स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद है। यह घटना स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की तत्काल आवश्यकता को दर्शाती है।