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ड्रामा नहीं, डिलीवरी चाहिए: संसद शीतकालीन सत्र से पहले PM मोदी की विपक्ष को दो टूक नसीहत

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Dec 1, 2025

ड्रामा नहीं, डिलीवरी चाहिए: संसद शीतकालीन सत्र से पहले PM मोदी की विपक्ष को दो टूक नसीहत

संसद के शीतकालीन सत्र 2025 की शुरुआत से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को साफ संदेश दे दिया है कि सदन में अब ड्रामा नहीं, डिलीवरी चाहिए। उन्होंने विपक्ष से चुनावी हार की निराशा छोड़कर सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभाने की अपील की। PM ने जोर दिया कि यह सत्र देश की प्रगति और विकास के लिए अham मुद्दों पर ठोस काम करने का मौका है, न कि नारेबाजी या हंगामे का। (68 शब्द)

बिहार चुनाव के बाद भी विपक्ष क्यों परेशान?

प्रधानमंत्री ने सीधे तौर पर बिहार विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि वहां रिकॉर्ड मतदान और परिणाम ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारत का लोकतंत्र कितना जीवंत है। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसा कि अभी भी कुछ लोग बिहार के नतीजों से उबर नहीं पाए हैं और पराजय की निराशा में डूबे हुए हैं। PM ने कहा, “विपक्ष को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। हार की भड़ास संसद में निकालने की जगह नहीं है।”

“नारे नहीं, नीति और काम पर चर्चा हो”

PM मोदी ने संसद को जनता की उम्मीदों का केंद्र बताया और कहा कि यहां सिर्फ डिलीवरी होनी चाहिए। उन्होंने साफ शब्दों में कहा – “नकारात्मकता से राष्ट्र निर्माण नहीं होता। सदन किसी की हार की निराशा या किसी की जीत के अहंकार का अखाड़ा नहीं बनना चाहिए।” उनका मानना है कि आने वाला सत्र भारत को तेजी से विकास के पथ पर आगे ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

युवा सांसदों को मौका देने की वकालत

प्रधानमंत्री ने इस बार युवा सांसदों पर भी खास जोर दिया। उन्होंने कहा कि नए और युवा सदस्यों की नई सोच, नई ऊर्जा और नए अनुभव से सदन को बहुत फायदा होगा। “हमारी युवा पीढ़ी जो नई दृष्टि लाती है, उससे संसद भी लाभान्वित होनी चाहिए और देश को भी नए विचार मिलने चाहिए।” PM ने सभी दलों से अपील की कि युवाओं को बोलने और योगदान देने का पूरा अवसर दिया जाए।

लोकसभा स्पीकर की भी उम्मीद

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी सत्र शुरू होने से पहले सभी सांसदों से अपील की कि वे लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखें और शीतकालीन सत्र को पूरी तरह उत्पादक (productive) बनाएं। उन्होंने कहा कि हर सदस्य का सार्थक योगदान देश की प्रगति के लिए जरूरी है।

जनता अब परिणाम चाहती है

देश की जनता पिछले कई सत्रों से देख चुकी है जहां हंगामा और स्थगन ज्यादा हुआ, काम कम। ऐसे में प्रधानमंत्री का यह स्पष्ट संदेश कि “ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए” जनभावनाओं को पूरी तरह प्रतिबिंबित करता है। अब देखना यह है कि विपक्ष इस सत्र में कितना सहयोगात्मक रुख अपनाता है और कितने अहम बिल व कानून इस सत्र में पास हो पाते हैं।

 

 

Report By:
Monika